सिकंदर और पोरस के बीच हुए युद्ध की कहानी, जो शायद की आपको मालूम होगी
पोरस और एलेक्सजेंडर के बीच हुए युद्ध को लेकर कई इतिहासकारों के दावे अलग-अलग हैं.
सिकंदर और पोरस की कहानी: 'जो जीता वही सिकंदर' यह कहावत आपने सुनी होगी लेकिन यह सिर्फ आधा सच है. सिकंदर महान जिसे लोग Alexander the Great के नाम से जानते हैं वह भी एक युद्ध हारा था. और सिकंदर जैसे महान योद्धा को भारत के राजा पोरस ने मात दी थी.
जब सिकदंर मेसेडोनिया का राजा बना तब उसने पूरी दुनिया को जीतने की ठान ली, काफी हद तक उसने कई रियासतों को अपने अधीन कर लिया, वह जीतता चला गया जबतक उसका सामना भारत के राजा पोरस से नहीं हुआ. जब सिकंदर सिंधु घाटी तक अपनी सेना के साथ पहुंचा तो उसे हार माननी पड़ी, भले ही उसकी सेना काफी बड़ी थी मगर भारतीय योद्धाओं के सामने वह नहीं टिक पाया
पोरस और सिकंदर का युद्ध
पोरस के बाद ऐसी सेना थी जिसमे बड़े-बड़े हाथी थे, सिकंदर और उसके सैनिकों ने इससे पहले कभी हाथी नहीं देखे थे और ना हाथियों से युद्ध लड़ा था. पोरस की गजसेना ने सिकंदर को रणभूमि से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
सिकंदर पराजय की ज्वाला में जल रहा था, लेकिन उसका मकसद दुनिया जीतना था. इसी लिए उसने पोरस को हारने के लिए अपनी प्रेमिका का सहारा लिया। उसने प्रेमिका के साथ मिलकर षडंयत्र रचा. सिकंदर की माशूका पोरस के शिविर में गई और राखी बांधकर अपना भाई बना लिया, पोरस ने भी वादा किया कि चाहे कुछ भी हो जाए वह सिकंदर की जान बक्श देगा
अगले दिन पोरस और सिकंदर के बीच युद्ध हुआ, काफी खून खराबा होने के बाद सिकंदर के हाथ से तलवार छूट गई और पोरस की तलवार सिकंदर के गले में टिक गई. पोरस चाहता तो वहीं सिकदंर को खत्म कर देता। मगर उसे अपना किया वादा याद था. इसी लिए उसने सिकंदर की जान बक्श दी.
हार के बाद सिकंदर नहीं माना और दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाते हुए उसे न्योते पर बुलाया, पोरस सिकंदर के छलावे में फंस गया. उसे सिपाहियों ने कैद कर लिया और सिकंदर के सामने पेश किया गया.
सिकंदर से पोरस से पुछा 'बताओ तुम्हारे साथ क्या किया जाए?' जवाब में पोरस ने कहा 'वही जो एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है' यह बात सुनकर सिकंदर ने पोरस को छोड़ दिया।