आज भी अस्तित्व में है भगवान परशुराम का फरसा! सदियों से जमीन में गड़ा है मगर जंग नहीं लगा
भगवान परशुराम का परशु झारखंड के टांगीनाथ धाम में मौजूद है. इसी फरसे से उन्होंने दुष्टों का सर्वनाश किया था
Parashurama Ka Fharsa Kahan Hai: शनिवार 22 अप्रेल को भगवान विष्णु के छटे अवतार भगवान परशुराम जनमोत्स्व है. कुछ लोग परशुराम जयंती कहते हैं मगर यह गलत है. भगवान परशुराम अमर हैं इसी लिए इसे परशुराम जनमोत्स्व कहना ही सही है. भगवान विष्णु ने परशुराम का अवतार पृथ्वी से दुष्ट राजाओं का संहार करने के लिए लिया था. उन्होंने धरती से 21 बार दुष्ट प्रवत्ति वाले क्षत्रीय राजाओं का सर्वनाश किया था. ताज्जुब की बात तो यह है कि हजारों साल पहले जिस परशु (फरसा) से उन्होंने संहार किया था वो आज भी मौजूद है.
भगवान परशुराम का फरसा कहां है?
पहले भगवान परशुराम का नाम राम ही था. क्योंकी वह परशु धारण करते हैं इसी लिए उनका नाम परशुराम हो गया. उनका फरसा आज भी अस्तित्व में है और आप भी जाकर उनके शस्त्र के दर्शन कर सकते हैं.
झारखंड राज्य की राजधानी रांची 150 किमी दूर घने जंगलों के बीच परशुराम का फरसा आज भी जमीन में गड़ा हुआ है. इस स्थान का नाम है गुमला जिसे टांगीनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है. इस स्थान को परशुराम का तपोस्थल माना जाता है. यहीं उन्होंने अपने शस्त्र का त्याग कर उसे जमीन में दफना दिया था.
झारखंड में परषु या फरसे को टांगी कहा जाता है. इसी लिए जिस जगह में वह फरसा गड़ा हुआ है उसे टांगीनाथ धाम कहा जाता है. लेकिन यह फरसा दिखने में थोड़ा अलग है. यह बिलकुल वैसा नहीं है जैसा भगवान परशुराम के चित्रों और TV में दिखाया जाता है.
हजारों सालों से मौजूद है फिर भी जंग नहीं लगा
लोहा ऐसी धातु है जिसमे पानी, मिट्टी और हवा के सम्पर्क में आने से जंग लग जाता है. मगर इस फरसे में आज तक जंग नहीं लगा. जबकि यह सदियों से खुले आसमान के नीचे है. ना ये कभी गला न ही इसमें कभी जंग लगी. लोग इसे चमत्कार मानते हैं