History Of Sengol: क्या है 'सेंगोल', जिसे अंग्रेजों ने नेहरू को दिया था, अब नए संसद भवन में पीएम मोदी ने स्थापित किया

History Of Sengol: सेंगोल का इतिहास मौर्यकाल से लेकर अंग्रेजों तक रहा है, नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सेंगोल की चर्चा बढ़ी है

Update: 2023-05-28 04:16 GMT

History Of Sengol, What is Sengol: 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ. पीएम मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विधिवत पूजा अर्चना कर नए संसद भवन का उद्घाटन किया। लेकिन सबसे ख़ास बात यह है कि नए संसद भवन को भारत की प्राचीन परंपरा से जोड़ा गया, आजादी के बाद भुला दिए गए 'सेंगोल' को नए संसद भवन में स्थापित किया गया। मंत्रोच्चारण, पूजन अर्चन के बाद Sengol को तमिलनाडु के मठों से आए अधीनम ने प्रधानमंत्री को सौंपा और पीएम ने इसे लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के बाजू में स्थापित किया और सेंगोल को षाष्टांग प्रणाम किया। सेंगोल (Sengol) क्या है, इसका इतिहास क्या है, यह अब तक कहां था और इसकी खासियत क्या है, सब कुछ आपको इस खबर में बताया जा रहा है...

सेंगोल क्या है 

What Is Sengol In Hindi: सेंगोल संस्कृत से बना शब्द है. जो 'सूंक' शब्द से बना है. इसका अर्थ है शंख. जाहिर है कि भारतीय वैदिक परंपरा में पौरुष के उद्घोष का प्रतीक है. इसे राज्य के विस्तार, प्रभाव और सम्प्रभुता से जोड़कर देखा जाता है. ऐसे ही सेंगोल भी राज्य की सम्प्रभुता, प्रभाव, विस्तार और पौरुष का प्रतीक है. 

सेंगोल को राजदंड कहा जाता है.  प्राचीन भारत में राजपुरोहित सेंगोल को राजा को सौंपते थे. वैदिक परंपरा में सत्ता के दो प्रतीक होते हैं. राजसत्ता के लिए राजदंड और धर्मसत्ता के लिए धर्मदंड। राजदंड राजा के पास होता था और धर्मदंड  राजपुरहित के पास. तमिल भाषा में सेंगोल का अर्थ सम्पदा से सम्पन्न होता है. पुराने समय में इसे राजा की शक्ति और सत्ता का प्रतीक माना जाता था. 

संगोल का इतिहास 

History Of Sengol In Hindi: संगोल का सबसे पहला प्रयोग मौर्य साम्राज्य में 322-185 BC में सम्राट की शक्ति के तौर पर किया गया था. इसके बाद यही परंपरा गुप्त साम्राज्य (320-550 ई), फिर चोल साम्राज्य (907-1310 ई) और फिर विजयनगर साम्राज्य (1336-1946) में हुआ. मुगल और ब्रिटिश भी अपनी सत्ता और साम्राज्य की सम्प्रभुता के लिए सेंगोल का प्रयोग करते थे.  

आजादी के बाद जब नेहरू से पूछा गया था कि वो सत्ता हस्तांतरण के समय क्या आयोजन चाहते हैं तो उन्होंने अपने सहयोगी सी-गोपीचारी की सलाह पर तमिलनाडु से सेंगोल मंगवाया था. 14 अगस्त की रात अंग्रेजों ने पीएम नेहरू को सेंगोल सौंपकर ही सत्ता का हस्तांतरण किया था. 

संगोल की कहानी 

Story Of Sengol: भारत को आजादी मिलने बाद दोबारा सेंगोल का प्रयोग नहीं किया गया. इसे ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए प्रयागराज संग्रहालय में रख दिया गया. अमित शाह ने कहा- अंग्रेजों से आज़ादी पाने के उस प्रतीक को अबतक क्यों जनता के सामने नहीं लाया गया? जब पीएम मोदी को सेंगोल के पारे में पता चला तो उन्होंने विचार-विमर्श के बाद इसे नए संसद भवन में स्थापित करने का फैसला किया। 1947 में जिन तमिल विद्वान ने सेंगोल नेहरू को सौंपा था वो अब 96 वर्ष के हो गए हैं और नए संसद में सेंगोल की स्थापना के समय मौजूद रहेंगे.

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