History Of Christmas: क्रिसमस 25 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है? पहली बार क्रिसमस कब मनाया गया था

क्रिसमस का इतिहास: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है, क्रिसमस की शरुआत कैसे हुई

Update: 2022-12-25 02:45 GMT

क्रिसमस का इतिहास:  25 दिंसबर यानि क्रिसमस का दिन आने वाला है. भारत में भी ईसाईयों की आबादी 2.3% है इसी लिए यहां भी बड़े अच्छे तरीके से क्रिसमस सेलिब्रेट किया जाता है. लेकिन पूरी दुनिया में हर चौथा इंसान ईसाई है जिनकी वर्ल्ड पॉपुलेशन 220 करोड़ से ज़्यादा है. इसी लिए क्रिसमस ऐसा पर्व है जो लगभग दुनिया के सभी देशों में मनाया जाता है. कुछ इस्लामिक देश छोड़ दें तो पूरी दुनिया में ईसाई धर्म को मानाने वाले हैं. 

लोग समझते हैं कि क्रिसमस के दिन यानी 25 दिसंबर को ईसा मसीह (Jesus Christ) का जन्म हुआ था. मगर जब आप क्रिसमस के इतिहास (History Of Christmas) को जान लेंगे तो सभी कन्फ्यूजन क्लियर हो जाएंगे। पहली बात तो ये है कि 25 दिसंबर को जीजस क्राइस्ट का बर्थडे नहीं होता है. लोग मानते हैं, विश्वास करते हैं मगर ये बात पुख्ता नहीं है. 

क्रिसमस का इतिहास 

History Of Christmas In Hindi: ईसा मसीह के जन्म से लेकर अगले 800 सालों तक पेगंस और क्रिस्चन के बीच ईश्वर को लेकर खुनी संघर्ष होता रहा. पेगंस बोले तो यूरोपीय देशों और पश्चिम के देशों में रहने वाले ऐसे लोग जो प्रकर्ति को ही भगवान मानते थे. जैसे सूर्य, चांद, बिजली, पानी, धरती। अगर आपने Vikings देखी है तो जो वाइकिंग्स थे उन्हें ईसाई लोग पिगंस कहते थे. 

ईसाईयों के पहले पश्चिमी देशों में पेगंस ही थे, फिर ईसा मसीह का जन्म हुआ जिन्होंने कहा- सूर्य, चांद, पृथ्वी, बिजली ये सब बनाने वाला एक ही है, ईश्वर एक ही है. लोगों को यह बात ज़्यादा अच्छी लगी तो लोगों ने ईसा के उपदेशों का पालन करना शुरू कर दिया। इसके बाद पेगंस और ईसाईयों में अगले 800 साल तक मारकाट चलती रही. धीरे-धीरे आधी दुनिया ही ईसाई बन गई. 

क्रिसमस मानना कैसे शुरू हुआ 

क्रिसमस की परंपरा ईसा मसीह के गुजरने के बाद यानी 336AD में शुरू हुआ. उस वक़्त रोमन लोग दिसंबर के महीने में दो त्यौहार मनाते थे. पहला था सैटर्नलिया. दो हफ़्ते का उत्सव, जो उनके कृषि देवता सैटर्न के सम्मान में होता था. और, 25 दिसंबर को रोमन्स अपने सूर्य देवता मिथ्रा के जन्म का जश्न मनाते थे. 

दिसंबर की रात सबसे काली होती थी इसी लिए पेगंस रात में मोमबत्तियां और आग जलाकर उँजियारा करते थे. धीरे-धीरे यह परंपरा और फिर उत्स्व में तब्दील होने लगा. जैसे यूरोप में ईसाई पंथ का विस्तार हुआ पेगंस खत्म होते गए. 

देखा जाए तो क्रिसमस पेगंस और ईसाईयों का मिलाजुला त्यौहार है, क्योंकि पेगंस अपने पर्व में पेड़ों के आगे मोमबत्तियां जलाते और सूखे फलों को टांगते थे. और ईसाई भी क्रिसमस ट्री के साथ कुछ ऐसा ही करते हैं. 

25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म दिन होता है? 

किसी को कोई कन्फर्म डेट मालूम नहीं थी इसी लिए लोगों ने 25 दिसंबर को ही ईसा का जन्म दिन मान लिया था. तब कैलेंडर हुआ नहीं करते थे. कहा जाता है कि 25 मार्च को ईसा मसीह की मां मैरी ने कहा था कि वो अगले 9 महीने के बाद खास बच्चे को जन्म देने वाली हैं. और 25 मार्च के 9 महीने बाद 25 दिसंबर ही होता है. ईसाई धर्म में कहा जाता है कि 25 मार्च के दिन ही इस दुनिया का निर्माण हुआ था. लेकिन 25 दिसंबर के दिन ही ईसा का जन्म क्यों मनाया जाता है इसका पुख्ता प्रमाण कहीं भी नहीं है. 

सांता क्लॉस कौन है, उनका जन्म कैसे हुआ 

सांता टर्म की उत्पत्ति रोम से शुरू हुई. और इसकी जड़ें तुर्की तक जाती हैं. बात तीसरी सदी की है. तुर्की में एक संत का जन्म हुआ जिनका नाम था 'सेंट निकोलस' वह एक चर्च में पादरी थे और उन्हें इसी लिए प्रताड़ित किया जाता रहा क्योंकि वह ईसा में विश्वास रखते थे, ईसा में विश्वास न रखने वालों के साथ भी ऐसा ही होता था. सेंट निकोलस उदार थे और धनि भी वो लोगों की मदद करते थे. जब वो गुजर गए तो उनकी याद में उनकी मौत के दिन को सेंट निकोलस दिन के रूप में याद किया गया. 

धीरे-धीरे ईसाई धर्म बढ़ा, अलग-अलग देशों में गया, वहां की संस्कृतियों में मिला-जुला। स्विस और जर्मन कल्चर में क्रिसमस के दिन तोहफे देने का प्रचलन शुरू हुआ. जर्मनी के कुछ हिस्सों में इस दिन को सिंटर क्लास कहा जाने लगा, क्लास से बना क्लॉस और सिंटर से बन गया सेंटा तो हुआ सेंटा क्लॉस। 

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