Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day: मुग़ल आतंकी औरंगजेब ने उनपर इस्लाम कबूलने का दवाब डाला, ना मानने पर सिर कलम कर दिया
Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day: गुरु तेग बहादुर सिक्ख धर्म के नौवें गुरु थे और 10 वें गुरु, गोविन्द सिंह के पिता थे
Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day: स्कूल की किताबों में जब हमें भारत का मध्यकालीन इतिहास पढ़ाया गया तब बाबर, हुमायु, अकबर, औरंगजेब सहित आतंकी मुग़लों का गुणगान के अलावा कुछ नहीं बताया गया। भारत में सनातन सभ्यता को मिटा देने और इसे इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए ना जानें कितने लाख हिन्दुओं और सिक्खों की बलि चढ़ा दी गई, हज़ारों मंदिर तोड़े गए, पुजारी, पंडितों, और गुरुओं की निर्मम हत्या की गई लेकिन इतना सब करने के बाद भी इस दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता को मिटाने वाला कोई पैदा नहीं हुआ.
24 नवंबर के ही दिन सिक्ख धर्म के नौवें गुरु, 'गुरु तेग बहादुर' ने धर्म की रक्षा करने के लिए शहादत दे दी थी, मुगल आतंकी 'औरंगजेब' ने उन्हें इस्लाम कबूलने के लिए दवाब बनाया था लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया और अपना सिर कटा दिया। 24 नवंबर का दिन बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कौन थे गुरु तेग बहादुर
24 नवंबर 1665 के दिन गुरु तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा करने के लिए अपनी शहादत दी थी। वो सिक्खों के नौवें गुरु और 10 वें गुरु, 'गुरु गोविन्द सिंह' के पिता थे। मुग़ल बादशाह हिंदुस्तान से सनातन धर्मं का नामोनिशान मिटाने के मनसूबे रखता था इसके लिए उसने कई लाख हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन करा दिया था, उस वक़्त मुग़लों की क्रूरता चरम पर थी लेकिन एक शख्स था जो मुग़लों की कट्टर सोच और धर्म के बीच दिवार बन कर खड़ा था। औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को भी इस्लाम कबूलने का फरमान जारी किया लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था। इसके बाद बोखलाए औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर का सिर धड़ से अलग कर दिया था।
भारत को इस्मालिक राष्ट्र बनाना चाहता था औरंगजेब
इतिहासकारों के मुताबिक क्रूर मुगल शासक औरंगजेब भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का मंसूबा रखता था, उसने कश्मीरी पंडितों को जबरन मुस्लमान बनाने के लिए तलवार के दम पर उनका धर्म परिवर्तन करा दिया था। तब कश्मीरी पड़ितों ें गुरु तेग बहादुर से मदद मांगी थी, और उन्होंने मदद करने का वचन दिया था।
गुरु तेग बहादुर ने मुग़लो की बहुत यातनाएं सहीं
कश्मीरी पंडितों की मदद करने से नज़र औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को बंदी बना लिया था, इस दौरन उनके कारगर में मुग़लों की यातनाए सहनी पड़ीं, उन्हें मारा गया, उनके ही सामने उनके शिष्यों को जिन्दा जला दिया गया, और इस्लाम कबूल करने के लिए कहा गया, इतना कष्ट सहने के बाद भी वो अपने फैसले परअडिग रहे और अंत में औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया। उनके इस बलिदान की याद में हर वर्ष 24 नवंबर को बलिदान दिवस बनाया जाता है, जिस जगह पर उनका शीश काटा गया था वो दिल्ली में है और अब सीसगंज गुरूद्वारे के नाम से जानी जाती है। औरंगजेब चाहता था कि गुरु तेग बहादुर इस्लाम काबुल कर लें ताकि बाकि हिन्दुओ और सिक्खों की हिम्मत टूट जाए और वो सब भी खौफ से मुस्लमान बन जाएं।
इतिहासकारों ने उन्हें भुला दिया
देश और धर्म के लिए जिन सिक्ख गुरुओं ने अपनी जानें गवाईं उन्हें इतिहास के पन्नों के नीचे दबा दिया गया, उस प्रताड़ना, क्रूरता, सामूहिक हत्या, और कट्टरपन्ति सोच को नज़रअंदाज कर के बच्चों को मुग़लों की झूंठी वीरता परोसी गई।
गुरु तेग बहादुर कोई राजा नहीं थे. वो चाहते तो वो कश्मीरी पंडितों की मदद करने से मना कर सकते थे और अपनी जान बचा सकते थे. पर उन्होंने धर्म का मार्ग चुना क्योंकि, उनका उपदेश था, "धर्म का मार्ग सत्य और विजय का मार्ग है". इसी शहीदी परंपरा पर देश को गर्व है. हमें अपने असली नायकों को पहचानना चाहिए और उन्हीं का सम्मान करना चाहिए.