धरती का कब्रिस्तान: रूस का शहर 'City 40' जिसकी कहानी आपके रोंगटे खड़े कर देगी
Story Of City 40 of Russia In Hindi: साल 2016 में दुनियावालों को The Graveyard Of The Earth के बारे में मालूम हुआ जब फिल्म निर्देशक Samira Goetschel ने City 40 नाम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाकर रूस के इस ख़ुफ़िया शहर की हकीकत सामने लाई
Story Of City 40 Russia In Hindi: स्वर्ग में रहने वालों को एक विकल्प दिया गया था: स्वतंत्रता के बिना खुशी, या खुशी के बिना स्वतंत्रता। कोई तीसरा विकल्प नहीं था। (डायस्टोपियन उपन्यास 'WE' के लेखक येवगेनी ज़मायटिन की यह बात रूस के अनसुने- अनदेखे शहर City 40 पर सटीक बैठती है. जहां रहने वाले लोगों ने कभी बाहरी दुनिया को न तो देखा और न ही उन्हें इसके बारे में कोई भी अंदाजा है. वो बस जी रहे हैं, अपनी अलग दुनिया में जहां आज़ादी के नामपर सांस लेना है और सुरक्षा के नामपर हज़ारों सैनिकों का पहरा है. इस ख़ुफ़िया एक्सपेरिमेंटल शहर को 'धरती का कब्रिस्तान' (The Graveyard Of The Earth) कहा जाता है.
रूस के शहर City 40 की कहानी, जो दुनिया के नक़्शे में नहीं है
रूस के बर्फीले Ural Mountains के बीच एक प्रांत है ओज़ेरस्क (Ozersk). जहां एक ऐसा खूबसूरत इलाका है जिसे धरती का स्वर्ग कहें तो गलत नहीं होगा मगर यहां रहने वाले लोगों का जीवन नर्क से भी बदतर है. विशाल दरवाजे, पहरा देते हज़ारों गार्ड्स और कटीली फेंसिंग के पीछे एक बनावटी शहर है जहां रहने वाले लोगों की अलग ही दुनिया है. इस इलाके को CITY 40 कहा जाता है.
Ozersk सोवियत न्यूक्लियर हथियारो प्रोग्राम का जन्मस्थल (The birthplace of the Soviet nuclear weapons) है. जहां द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दशकों तक परमाणु हथियारों का प्रयोग होता रहा. 1 लाख की आबादी वाले इस कृतिम शहर को ना तो रूस के और ना ही दुनिया के किसी नक़्शे में दर्शाया गया है. इससे जुड़े जो भी दस्तावेज थे उन्हें Soviet Census ने नष्ट कर दिया था
Ozersk में खूबसूरत झीलें, खूबसबदार फूलों के बागान, हरियाली, बर्फ, सब कुछ है यह बिलकुल अमेरिका के किसी 1950s वाले सबअर्बन टाउन जैसा है. यहां भी बच्चे सड़कों में खेलते हैं, स्केट बोर्ड चलाते हैं. नाचते-गाते हैं मगर यहां उगने वाले फल जहरीले हैं, पानी दूषित है. हवा में रेडिएशन है. यहां रहने वाला हर शख्स इससे प्रभावित और बीमार है, Ozersk इस दुनिया का सबसे खतरनाक और दूषित इलाका है। इसी लिए इसे धरती का कब्रिस्तान कहते हैं. यहां रहने वाले ना किसी दूसरे शहर में जा सकते हैं और ना ही कोई बाहरी इस शहर के अंदर प्रवेश कर सकता है.
यहां उगाई जाने वाली सब्जियों, फल, फूल को Gieger नाम के उपकरण से टेस्ट किया जाता है. क्योंकि वह दूसरे लोगों तक रेडिएशन फैला सकता है. यहां की नदियां, झीलें सब रेडिओएक्टिव हो चुकी हैं.
Ozersk में क्या हुआ था
What happened in Ozersk: ये बात है 1946 की जब रूस सोवियत कहलाता था. Soviets ने City 40 नामक एक शहर बनाया। जिसकी दुनिया को भनक तक नहीं लगी. यह शहर Lake Irtyash के करीब Mayak nuclear plant पर बना था. यहां वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के लिए घर बनाए गए, उनके साथ उनके परिवारों को भी यहीं बसाया गया ताकि वह यहीं रहें और सोवियत यूनियन के शुरू किए गए न्यूक्लियर वेपन्स प्रोग्राम के तहत Atomic Bomb तैयार कर सकें
इस शहर में रहने वाले लोगों का अगले 8 सालों के लिए बाहर निकलना, अपने करीबियों से सम्पर्क करना, उन्हें चिठ्ठी लिखना या बाहरी किसी भी व्यक्ति से कांटेक्ट करने पर प्रतिबंध था. जिन्हे यहां बसाया गया उन्हें बाहरी दुनिया के लिए लापता घोषित कर दिया गया.
City 40 में रहने वाले लोगों को कहा गया कि इस फेंसिंग के बाहर जो कुछ भी है वो दुश्मन है. और यहां रहने वाले लोगों को बताया गया था कि वह 'न्युकिलर शील्ड' और 'दुनिया के रक्षक हैं'.
CITY 40 से बाहर रहने वाले सोवियत नागरिक भुखमरी, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे थे लेकिन यहां रहने वाले लोगों के लिए Ozersk पैराडाइस था. जहां अच्छे हॉस्पिटल, फल, सब्जियां, खेत, स्कूल, मनोरंजन, यानी एक खूबसूरत जिंदगी बिताने के लिए सब कुछ था और यह सब बिलकुल मुफ्त था.
लेकिन इसके बदले यहां रहने वालों को एक कीमत चुकानी थी. वो थी उनकी जिंदगी जो इस प्रोजेक्ट को ऑपरेट कर रहे लोगों के हाथ में थी. फिर भी सब कुछ अच्छा चल रहा था. किसी को तबतक कोई नुकसान नहीं था जबतक वह वह इस सीक्रेट को किसी दूसरे व्यक्ति को बता नहीं देता था.
फिर जन्नत नर्क बनने लगा
लेकिन इस समझौते के घातक परिणाम हुए हैं। वर्षों तक, सोवियत संघ के राजनीतिक और वैज्ञानिक नेतृत्व ने शहर के निवासियों और उनके भविष्य की संतानों के स्वास्थ्य को अत्यधिक जोखिम से भर दिया। शुरू से ही, अधिकांश निवासी बेहद खतरनाक परिस्थितियों में मायाक परमाणु परिसर के पास काम करते रहते थे। 1940 के दशक के अंत से, यहां के लोग बीमार होने और मरने लगे, लंबे समय तक विकिरण के संपर्क में रहने के शिकार हुए. ओज़ेरस्क के कब्रिस्तान में कई युवा निवासियों के ग्रेवस्टोन उस रहस्य के गवाह हैं, जिसे सोवियत संघ ने मायाक संयंत्र के पीड़ितों के साथ दफनाने की कोशिश की थी।
1957 में दुनिया का सबसे खतरनाक परमाणु धमाका Chernobyl में हुआ था. लेकिन सोवियत की सीक्रेट ऑथरिटीज़ ने इस हादसे में मरने वाले अनगिनत लोगों का डेटा कभी सामने नहीं आने दिया।
"चेरनोबिल" के बराबर रेडियोधर्मी कचरे के 200 मिलियन करी को पर्यावरण में फेंक दिया गया. कुछ ओजेरस्क निवासियों के अनुसार, डंपिंग आज भी जारी है। पास की झीलों में से एक प्लूटोनियम से इतनी अधिक दूषित हो गई है कि स्थानीय लोगों ने इसे "मौत की झील" या "प्लूटोनियम झील" का नाम दिया है। वहाँ रेडिओएक्टिव कंसन्ट्रेशन 120 मिलियन क्यूरी से अधिक होने बात कही गई है.
ओजेरस्क के बाहरी इलाके में, अंग्रेजी और रूसी भाषा में बड़े लाल अक्षरों में लिखा गया है। विदेशियों और अनिवासी रूसियों को अभी भी FSB (रूसी गुप्त पुलिस) की अनुमति के बिना शहर में प्रवेश करने की मनाही है, और क्षेत्र में फिल्म बनाना सख्त मना है।
क्या ओजेरस्क के लोग बाहर नहीं निकल सकते
ओज़ेरस्क के निवासियों को एक विशेष पास के साथ शहर से बाहर जाने की अनुमति है, और यदि वे कभी वापस नहीं आना चाहते हैं तो उन्हें स्थायी रूप से जाने की भी अनुमति है। लेकिन अब कोई इस शहर को नहीं छोड़ना चाहता क्योंकि इसका मतलब यह होगा इस बंद शहर के निवासी होने के विशेषाधिकारों को हमेशा के लिए खो देंगे
वो यहीं क्यों रहना चाहते हैं?
बाहरी लोगों के लिए यह समझना मुश्किल है कि सिटी 40 के निवासी उस जगह पर कैसे रह सकते हैं, जिसे वे जानते हैं कि धीरे-धीरे उन्हें मार रहा है। लेकिन एक स्थानीय पत्रकार का कहना है कि उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि बाहरी दुनिया उनके बारे में और उनकी जीवनशैली के बारे में क्या सोचती है। वह बस बाहरी दुनिया से अलग शांति का जीवन जीना चाहते हैं. वह अपने कैद भरे पैराडाइस में ही जीना और मरना चाहते हैं.
Los Angeles की फिल्म मेकर Samira Goetschel ने किसी तरह City 40 पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी. जिसे 2016 में रिलीज किया गया था. आप इसे Netflix में देख सकते हैं.