KVP Scheme: किसान विकास पत्र में निवेश नहीं करने की दी सलाह, यहां पढ़ें पूरी डिटेल्स

KVP Scheme: भविष्य में कभी भी बुरा वक्त आ सकता है भविष्य में आने वाले वित्तीय संकट जैसी बीमारी बच्चों की शिक्षा, शादी जैसे कामों में पैसों की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है।;

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Update: 2022-01-28 06:17 GMT
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भविष्य में कभी भी बुरा वक्त आ सकता है भविष्य में आने वाले वित्तीय संकट जैसी बीमारी बच्चों की शिक्षा, शादी जैसे कामों में पैसों की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है। अधिकतर लोगों के पास इतना जमापूंजी भी नहीं होता है कि वे अपनी बीमारी का अच्छे से इलाज करा सकें। इसी कारणवश भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए लोग अपनी जमापूंजी को निवेश कर देते हैं। लेकिन पैसा हमेशा ऐसी जगह पर ही निवेश करना चाहिए जहां पर पैसों की सुरक्षा और रिटर्न बढ़िया मिले।

KVP में निवेश करना क्यों फायदेमंद नहीं है

निवेश से जुड़े लोग केवीपी स्कीम का समर्थन नहीं करते हैं। केवीपी में पैसा लगाने के लिए मना करते हैं। किसान विकास पत्र में पैसा नहीं लगाने के पीछे चार प्रमुख कारण यें है।

सेक्शन 80c के तहत टैक्स में छूट नहीं मिलती है

इनकम टैक्स के सेक्शन 80c कई तरह की स्कीम में किए गए निवेश के लिए 1,50,000 रुपए की रकम पर टैक्स में छूट देता है। लेकिन किसान विकास पत्र में धारा 80 सी के तहत टैक्स में किसी भी तरह की कटौती नहीं होती है। जबकि इस श्रेणी में अन्य स्कीम जैसे पीपीएफ खाता और राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के में किए गए निवेश पर सेक्शन 80 के तहत टैक्स में छूट मिलती है। बैंकों के साथ 5 साल के फिक्स्ड डिपॉजिट में किए गए निवेश को भी सेक्शन 80 के तहत टैक्स में छूट मिलती है।

लॉक-इन अवधि अधिक है

किसान विकास पत्र की लॉक-इन अवधि अन्य बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में काफी अधिक होती है। बैंक में फिक्स किए जाने वाले डिपाजिट को किसी भी समय एक मामूली फाइन के साथ तोड़ा जा सकता है।

KVP में साधारण ब्याज दर एवं अन्य लाभ भी नहीं मिलते

किसान विकास पत्र का ब्याज दर 7.3 फीसदी है जो इसी श्रेणी में अन्य स्कीम जैसे- पीपीएफ खाता, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र और फिक्स्ड डिपॉजिट आदि की तुलना में लगभग बराबर या कम होता है। इतना ही नहीं, बाकी स्कीम में कई अन्य लाभ मिलते हैं जो KVP में निवेश करने पर उपलब्ध नहीं होते हैं।

ब्याज के पैसों पर टैक्स भरना पड़ता है

किसान विकास पत्र पर अर्जित किए जाने वाले ब्याज के पैसे 'अन्य स्रोतों से आय' के मद में आते हैं। लिहाजा इससे मिलने वाले ब्याज के पैसों पर टैक्स भी भरना पड़ता है। जबकि अन्य स्कीम जैसे नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट और पीपीएफ अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है।

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