घड़ी डिटर्जेंट कंपनी की शुरुआत कैसे हुई? कानपुर में था छोटा सा सेटअप, आज भारत की सबसे बड़ी डिटर्जेंट कंपनी है
Story Of Ghadi Detergent Company: पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो वाली टैग लाइन बच्चे-बच्चे को रटी हुई है
घड़ी कंपनी की स्थापना कैसे हुई: 'पहले इस्तेमाल करो, फिर विश्वास करो' टैगलाइन वाली डिटर्जेंट कंपनी 'घड़ी' अगले साल अपना 63वां जन्मदिन मानाने जा रही है. यह ऐसा वाशिंग पाउडर और साबुन बनाने वाली कंपनी है जिसका इस्तेमाल लगभग हर भारतीय के घर में होता है. लेकिन घड़ी का इतना लंबा सफर तय करना आसान नहीं था. कभी कानपुर में छोटी सी फैक्टरी में शुरू हुई घड़ी आज देश का नंबर 1 वाशिंग पाउडर ब्रांड ऐसे ही नहीं बना है.
कैसे हुई धड़ी डिटर्जेंट की शरुआत
बात है 1987 की, उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले दो भाई मुरली बाबू और बिमल ज्ञानचंदानी ने स्वदेशी डिटर्जेंट कंपनी की शुरुआत की थी. शास्त्रीनगर के रहने वाले दोनों भाइयों ने फजलगंज में एक छोटी सी फैक्ट्री से अपनी कंपनी को शुरू कर दिया था. और नाम रखा था 'श्री महादेव सोप इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड'
लेकिन इस कंपनी के सामने पहले से 1960 से संचालित हिंदुस्तान लिवर लिमिटेड का वाशिंग पाउडर Surf और 1969 से संचालित गुजरात के श्री करसन भाई पटेल की कंपनी 'निरमा' का दबदबा था. निरमा 1985 तक भारत में सबसे ज़्यादा बिकने वाला डिटर्जेंट बन गया था.
तब ज्यादातर वाशिंग पाउडर का रंग नीला या पीला होता था. मगर श्री महादेव सोप इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड' के डिटर्जेंट का रंग सफ़ेद था. दोनों भाई अपने डिटर्जेंट सोप को साइकल में लादते और गांव-गांव बेचने के लिए निकल जाते। यह सिलसिला कई सालों तक चला मगर सर्फ़ और निरमा ग्राहकों की फर्स्ट चॉइस बने रहे.
साल 2005 में कंपनी का नाम 'श्री महादेव सोप इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड' से बदलकर Rohit Surfactants Private Limited (RSPL) कर दिया. अबतक कानपुर में यह ब्रांड फेमस हो गया था. बिज़नेस बढ़ा तो राज्य के बाहर भी कारोबार फैलने लगा.
पंच लाइन ने किस्मत बदल दी
कंपनी अब अपने प्रोडक्ट का प्रचार-प्रसार करना चाहती थी. मुरारी बाबू ने इसके लिए एक टैगलाइन तैयार की जिसे आज देश का बच्चा बच्चा गुनगुनाता है 'पहले इस्तेमाल करो, फिर विश्वास करो' और इसी पंचलाइन ने लोगों का विश्वास जीत लिया
जैसे कि ग्राहक घड़ी पाउडर खरीदने के लिए इसी पंच लाइन का इंतज़ार कर रहे थे, कुछ विज्ञापन जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश से होते हुए यह कारोबार एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, बिहार तक फ़ैल गया और पूरे देश से इसकी डिमांड आने लगी.
2012 तक इस कंपनी के प्रोडक्ट की खपत 17.4% हो गई. यानी यह देश की सबसे बड़ी डिटर्जेंट कंपनी के रूप में उभरी। एक छोटी सी कंपनी की शुरुआत करने वाले मुरलीधर ज्ञानचंदानी और बिमल ज्ञानचंदानी को साल 2013 में सबसे अमीर बिजनेसमैन की टॉप 100 की सूची में 75वां स्थान दिया गया. उस समय इनकी कुल संपत्ति तक़रीबन 13 हजार करोड़ रुपए थी.
वर्तमान में RSPL कंपनी घड़ी डिटर्जेंट के साथ, साबुन, हैंडवाश, रूम फ्रेशनर, टॉयलेट क्लीनर, वीनस सोप, नमस्ते इंडिया डेयरी प्रोडक्ट, प्रो इज केयर (सेनेटरी नैपकिन), रेड चीफ (चमड़े के जूते, चप्पल आदि) और रियल स्टेट में भी अपना बिजनेस फैलाए हुए हैं.