एमपी के उपभोक्ता आयोगों में पांच वर्ष में रेलवे के खिलाफ दर्ज हुए 3,871 केस
मध्यप्रदेश के उपभोक्ता आयोगों में पांच वर्ष के दौरान रेलवे के खिलाफ 3 हजार 871 केस दर्ज कराए गए। जिनमें सर्वाधिक मामले सामान चोरी के बताए गए हैं।
मध्यप्रदेश के उपभोक्ता आयोगों में पांच वर्ष के दौरान रेलवे के खिलाफ 3 हजार 871 केस दर्ज कराए गए। जिनमें सर्वाधिक मामले सामान चोरी के बताए गए हैं। वहीं कई मामलों में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा रेलवे के खिलाफ फैसला भी सुनाया गया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई करते हुए यह भी माना कि टिकट लेने के बाद रेल यात्रियों को उस तरह की सेवाएं नहीं दी गईं जिसके वे हकदार थे।
825 प्रकरणों का हुआ निराकरण
पांच वर्ष के दौरान भोपाल सहित प्रदेश के सभी 51 जिला आयोगों में रेलवे के खिलाफ कुल 3871 प्रकरण दर्ज हुए। दर्ज कराए गए प्रकरणों में सर्वाधिक मोबाइल और सामान चोरी के बताए गए हैं। जिनमें से 825 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। जिसमें जिला उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को अनुचित व्यापार और सेवा में कमी का दोषी माना। दर्ज मामलों में खराब खाना, टिकट रिफंड के मामले भी हैं। भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग की दोनों बेंच ने रेलवे के 22 मामलों पर सुनवाई की। इस दौरान उपभोक्ताओं को हर्जाना भी दिलाया गया। जिला उपभोक्ता आयोग में रेलवे की जो शिकायतें दर्ज कराई गई हैं उनमें मुख्य रूप से मोबाइल व ई-गैजेट चोरी होने, खराब भोजन देने, भोजन में कीड़ा निकलने सहित सुरक्षा प्रदान नहीं करने की शामिल हैं।
72 हजार रुपए लगाया हर्जाना
एक ऐसे ही मामले में रेलवे को सेवा में कमी का दोषी पाते हुए 72 हजार रुपए हर्जाना देने के आदेश दिए गए हैं। बताया गया है कि आरती तिवारी निवासी हर्षवर्धन नगर द्वारा 4 जून 2016 को रेलवे के खिलाफ परिवाद दायर किया गया था। शिकायत में बताया गया था कि रेवांचल एक्सप्रेस से 13 जून 2014 को पति और बच्चे के साथ कोच एस-2 में यात्रा कर रही थीं। गंजबसोदा स्टेशन पर ट्रेन धीमी थी उसी दौरान एक लड़का उनका पर्स खींचकर भाग गया। जिस पर उनके द्वारा ट्रेन की चेन भी खींची गई किंतु तब तक लड़का पर्स समेत गायब हो गया था। पर्स में 72 हजार 450 रुपए का सोने का सामान, मोबाइल व नगद था। मामले में आयोग ने दस्तावेज, एफआईआर और साक्ष्यों के आधार पर पाया कि आरक्षित कोच में अनाधिकृत व्यक्ति के प्रवेश को रेलवे नहीं रोक पाया। रेलवे स्टाफ की इस लापरवाही पर आयोग ने उपभोक्ता को 72 हजार 450 रुपए सामान की मूल राशि के साथ 10 हजार रुपए हर्जाना और 3 हजार रुपए परिवाद व्यय देने के आदेश दिए गए। मामलों की सुनवाई अध्यक्ष योगेशदत्त शुक्ल, सदस्य सुनील श्रीवास्तव और प्रतिभा पाण्डेय ने की।