Russia-Ukraine Crisis: बीयर कंपनियों पर मंडरा रहा हैं यूक्रेन संकट का साया
Russia-Ukraine Crisis: बीयर कंपनियों के लिए गर्मियों का मौसम सर्वाधिक मुनाफा कमाने का सीजन होता है क्योंकि इस दौरान इसकी सेल सबसे अधिक होती है।
Russia-Ukraine Crisis: बीयर कंपनियों के लिए गर्मियों का मौसम सर्वाधिक मुनाफा कमाने का सीजन होता है क्योंकि इस दौरान इसकी सेल सबसे अधिक होती है। भारत में गर्मियों का मौसम शुरू होने वाला है, लेकिन बीयर बनाने वाली कंपनियां बहुत टेंशन में है। क्योंकि इस बिजनेस पर रूस-यूक्रेन का संकट का साया मंडरा रहा है। हिंदुस्तान से हजारों किलोमीटर दूर बने युद्ध के हालातों के कारण से कई तरह की आशंका जताई जा रही है।
जौ कि वैश्विक कीमतों पर यूक्रेन का असर
रूस-यूक्रेन संकट बीयर इंडस्ट्री के मार्जिन को कम कर सकता है। जौ की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं। शार्ट एंड मीडियम टर्म में निश्चित तौर पर जौ कि वैश्विक कीमतों पर यूक्रेन का असर होने वाला है। अभी यह देखा जाना, कि इस असर को कम करने के लिए बीयर कंपनियां तुरंत रिएक्ट करती हैं और दाम बढ़ाने का निर्णय करती हैं या नहीं। कुछ मामलों में तो दाम सरकार के नियंत्रण में है। बेवरेज बिजनेस से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक इस सेगमेंट से जुड़ी किसी भी कंपनी के लिए 2022 का रूस-यूक्रेन संकट अप्रत्याशित झटका दे सकता है।
CIABC के अनुसार
CIABC के डायरेक्टर जनरल विनोद गिरि ने कहा कि 'हम स्थिति का लगातार मूल्यांकन कर रहे हैं और इस बात का आंकलन कर रहे हैं कि भारत में Brewers पर इसका क्या असर हो रहा है। अगर मौजूदा संकट आगे तक खींचता है तो निश्चित ही यह चिंता का कारण बन सकता है'।
मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि स्थानीय स्तर पर जौ खरीदने वाले Brewers भी इस संकट से प्रभावित होंगे। यूक्रेन संकट के चलते जौ कि वैश्विक आपूर्ति बाधित होगी, जिससे ग्लोबल मार्केट में इसकी कीमतें बढ़ेंगी। ऐसा होगा तो भारत में भी स्वाभाविक तौर पर जौ के दाम बढ़ जाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो पिछले दो सीजन से कम बिक्री की मार झेल रही बियर कंपनियों को लागत बढ़ने से कम मार्जिन का सामना करना पड़ सकता है।
रूस और यूक्रेन के तनाव के चलते जौ-गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में बाधा
रूस और यूक्रेन दोनों ही देश गेहूं और जौ जैसी फसलों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक हैं। गेहूं के मामले में रूस दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है वहीं यूक्रेन चौथे नंबर पर आता है। ग्लोबल एक्सपोर्ट में अकेले इन देशों की हिस्सेदारी 25% है। वहीं जौ के मामले में भी इन दोनों की गिनती टॉप फाइव एक्सपोर्टर्स में होती है। बीयर बनाने में सबसे अधिक जौ का उपयोग किया जाता है। इसी तरह बीयर बनाने में गेहूं का भी जमकर यूज होता है। रूस और यूक्रेन के तनाव के चलते जौ-गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में बाधा ना हो जाए। बीयर कंपनियों को यही आशंका हो रही है।