वायरस से पीड़ित नर्स 45 दिन तक कोमा में थी, वाइग्रा ने कमाल कर दिया
नर्स का ऑक्सीज़न लेवल कम हो गया था, वो बीते 45 दिन से कोमा में थी, उसके वापस होश में आने की उम्मीद काफी कम थी
इंग्लैंड के गेन्सबरो लिंकनशायर के एक हॉस्पिटल में नर्स का काम करने वाली महिला जानलेवा कोरोना वायरस की चपेट में आ गई थी, कई दिनों तक इलाज चला लेकिन वायरस उसके शरीर को छोड़ ही नहीं रहा था, कुछ दिन बाद उसकी हालत और भी ख़राब हो गई और शरीर में ऑक्सीज़न लेवल कम होने के कारण वह कोमा में चली गई और 45 दिन तक वह कोमा में ही रही।
कोमा में बेसुध पड़ी नर्स मोनिका को अंत में वाइग्रा की डोज ने बचा लिया, डॉक्टर्स ने उसे वाइग्रा की दवाई दी जिससे वो कोमा से बहार आ गई. मोनिका का इलाज भी उसी हॉस्पिटल में किया गया जिसमे वो नर्स का काम करती थी। 45 दिन तक कोमा में रहने के बाद मोनिका को होश आया।
कैसे ठीक हुई
The Sun में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार मोनिका का ऑक्सीज़न लेवल बहुत कम हो गया था. जिसके बाद वह कोमा में चली गई और 45 दिन तक उसी हालत में ज़िन्दगी और मौत के बीच जंग लड़ती रही. जब एक महीने से भी ज़्यादा वक़्त के बाद उसे होश आया तो डॉक्टर्स ने उसे बताया कि उसकी जान वाइग्रा ने बचाई है। मोनिका ने कहा पहले यह मुझे मजाक लगा लेकिन बाद में पता चला कि उसे वाइग्रा की हेवी डोज दी गई थी.
मोनिका एनएचएस लिंकनशायर हॉस्पिटल में लोगों का इलाज करती हैं, बीमार लोगों की ज़िन्दगी बचाते वो खुद कोरोना से संक्रमित हो गईं. धीरे-धीरे उनकी तबियत बिगड़ने लगी और उन्हें खून की उल्टियां भी होने लगी थी। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था मोनिका की हालत और भी ख़राब हो गई थी और वह कोमा में चली गई थी।
तो वाइग्रा ने यहां भी कमाल कर दिया
मोनिका को ठीक करने के लिए डॉक्टर्स की टीम ने कई पैतरे आजमाए लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. बाद में एक डॉक्टर ने मोनिका को इंजेक्शन की मदद से वाइग्रा की हैवी डोज दी, जिसका असर दिखने लगा. मोनिका के शरीर में खून का दौरा बढ़ने लगा और उसके फेफड़ों को आराम पहुंचने लगा. दरअसल वाइग्रा फेफड़ों में फोस्पोडायस्टेरियस एंजाइम बनाती है, जो रक्त धमनियों को चौड़ा कर देती है। मोनिका को अस्थमा की भी बीमारी थी जिसके कारण उनके शरीर में ऑक्सीज़न का स्तर कम हो गया था।