हाथरस हादसे के बाद भोले बाबा कहां गायब? 30 एकड़ आश्रम, कारों का काफिला, पत्नी को 'मां जी' बुलाते भक्त; जानिए कौन है सूरज पाल, कैसे बना भोले बाबा...

UP के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 122 लोगों की मौत हो गई। हादसे के बाद भोले बाबा फरार हो गया है। पुलिस को उसकी लोकेशन नहीं मिल रही है। भोले बाबा का 30 एकड़ में आश्रम है और उसने खुद की 'आर्मी' भी बना रखी है। यौन शोषण समेत 5 मुकदमे दर्ज हैं।

Update: 2024-07-03 06:44 GMT

Hathras Satsang Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 122 लोगों की मौत हो गई। हादसे में ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं मारे गए। यह हाल के सालों में सबसे बड़ी त्रासदी है। भगदड़ उस समय मची जब लोग भोले बाबा के चरणों की धूल लेने के लिए टूट पड़े। हादसे के बाद भोले बाबा फरार हो गया और पुलिस को उसकी लोकेशन नहीं मिल रही है।

भोले बाबा का 30 एकड़ में आश्रम है और उसने खुद की 'आर्मी' भी बना रखी है। यौन शोषण समेत 5 मुकदमे दर्ज हैं। यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल रहते हुए यौन शोषण का आरोप लगा तो उसे बर्खास्त कर दिया गया था। जेल भी गया। बाहर आया तो नाम और पहचान बदल ली। भक्त भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि को परमात्मा कहते हैं, जबकि उसकी पत्नी को 'मां जी'।

हादसे के बाद से भोले बाबा की दो थ्योरी सामने आई हैं। पहली थ्योरी के मुताबिक, भोले बाबा पुलिस की गिरफ्त में है और उसे मैनपुरी के कस्बा बिछवा स्थित राम कुटीर आश्रम में रखा गया है। आश्रम के अंदर-बाहर फोर्स तैनात कर दी गई है। दूसरी थ्योरी के अनुसार, भोले बाबा ने अपना मोबाइल बंद कर लिया है और वह फरार हो गया है। पुलिस उसकी लोकेशन ट्रेस करने में नाकाम है।

भोले बाबा कौन है? 

हाथरस हादसे के बाद से फरार भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल सिंह है। वह एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है। शुरुआती पढ़ाई एटा जिले में हुई। बचपन में पिता के साथ खेती-किसानी में हाथ बंटाता था। पढ़ाई के बाद यूपी पुलिस में नौकरी लग गई। यूपी के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में सूरज पाल की तैनाती रही।

यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान 28 साल पहले सूरज पाल इटावा में भी तैनात रहा। नौकरी के दौरान उसके खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे पुलिस विभाग से बर्खास्त कर दिया गया। जेल से छूटने के बाद उसने अपना नाम बदलकर नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और उपदेशक बन गया। लोग उसे भोले बाबा कहने लगे। उसकी पत्नी भी समागम में साथ रहती है।

बाबा का गांव में आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। जहां किसी देवता की मूर्ति नहीं है। 2014 में उसने बहादुर नगर से मैनपुरी के बिछवा में अपना ठिकाना बदल लिया और आश्रम का प्रबंधन स्थानीय प्रशासक के हाथों में छोड़ दिया। सूत्रों ने बताया कि उसके ठिकाना बदलने के बावजूद आश्रम में हर दिन 12,000 तक लोग आते थे।

बिना प्रसाद-चढ़ावे के बढ़ती लोकप्रियता

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। उनकी खासियत यह है कि उनके आयोजनों में कोई प्रसाद नहीं चढ़ता, चढ़ावा नहीं लिया जाता, और साहित्य-सामग्री नहीं बेची जाती। अनुयायी मंच के नीचे से बाबा को प्रणाम करते हैं। चढ़ावा नहीं लेने की वजह से बाबा के अनुयायी बढ़ते गए हैं।

भोले बाबा के अनुयायी उन्हें परमात्मा मानते हैं। यूपी के हाथरस के अलावा, उनके आश्रम और समागम कार्यक्रम दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी आयोजित किए जाते हैं। भोले बाबा के कई विवाद भी रह चुके हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।

अखिलेश यादव भी हैं मुरीद

भोले बाबा का राजनीतिक कनेक्शन भी है। कुछ मौकों पर यूपी के कई बड़े नेताओं को उनके मंच पर देखा गया है। इनमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम भी शामिल है। अखिलेश यादव ने जनवरी 2023 में एक समागम में हिस्सा लिया था और बाबा की तारीफ करते हुए ट्वीट भी किया था।

भोले बाबा की काली पोशाक वाली 'सेवादार आर्मी

भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि की अपनी एक 'सेवादार आर्मी' है। ये सेवादार काली पोशाक में रहते हैं और हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की व्यवस्था संभालते हैं। देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन और ट्रैफिक की व्यवस्था इन सेवादारों द्वारा ही की जाती है।

बांटा जाता है पानी का प्रसाद

भोले बाबा के सत्संग में आने वाले हर भक्त को पानी बांटा जाता है। बाबा के अनुयायी मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। एटा में बहादुर नगर गांव स्थित बाबा के आश्रम में दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है, जिसके पानी को पीने के लिए भी दरबार के दौरान लंबी लाइन लगती है।

विवादों से गहरा नाता 

मई 2022 में जब देश में कोरोना की लहर चल रही थी, उस समय फर्रुखाबाद में भोले बाबा ने सत्संग किया था। जिला प्रशासन ने केवल 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। इस वजह से शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। इस बार भी हाथरस में हुए कार्यक्रम में प्रशासन द्वारा अनुमति दिए गए लोगों से कहीं ज्यादा लोग शामिल हुए थे।

भोले बाबा पर जमीन कब्जाने के भी कई आरोप हैं। कानपुर के बिधनू थाना क्षेत्र के करसुई गांव में साकार विश्वहरि ग्रुप पर 5 से 7 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा था।

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