Raksha Bandhan Stories: रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है, कैसे हुई थी रक्षाबंधन की शुरुआत? आइए जानें पूरी कथा
Raksha Bandhan Stories: लेकिन अलग-अलग स्थानों में एवं लोक परंपरा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन (Raksha bandhan) का त्यौहार मनाया जाता है।
Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन का त्यौहार आमतौर पर भाई और बहन के बीच मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और पवित्र त्यौहार है। बहन अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। लेकिन अलग-अलग स्थानों में एवं लोक परंपरा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन (Raksha bandhan) का त्यौहार मनाया जाता है। कई जगह ऐसा प्रचलन है कि पुरोहित अपने यजमान को राखी बांधते हैं। हालांकि अब उन जगहों पर भी यह प्रचलन धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। मुख्य रूप से बहने ही भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
Raksha Bandhan Kyun Manaya Jata hai? रक्षाबंधन के संबंध में प्रचलित कथाओं के अनुसार इस त्यौहार पर बहन द्वारा भाई को बांधी गई राखी भाई के जीवन की रक्षा करती है। अब तक जितने भी वैदिक लेख मिले हैं उनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि भाई की कलाई पर राखी बांधकर बहन जहां भाई के जीवन की रक्षा, उसकी उन्नति और उसके संपूर्ण विकास की कामना करती है। वहीं बहन अपने भाई से अपनी रक्षा, उससे सहयोग और सदैव स्नेहा बनाए रखने का वचन लेती है।
लड़कियां पराया धन कहलाती हैं। एक न एक दिन विवाह के बाद वह दूसरे घर में चली जाती हैं। लेकिन का संबंध और प्रेम अपने मायके से सदैव बना रहता है। मायके का नाम आते ही चेहरे की चमक ही बदल जाती है। भाई अगर गरीब भी है तो भी बहनों के लिए सदैव प्रिय रहता है। वह ससुराल में अपने मायके का छोटापन बिल्कुल भी सहन नहीं करती। इनका यह प्रेम सदैव बना रहे इसीलिए रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े ही श्रद्धा भाव और प्रेम भाव के साथ विधि विधान से मनाया जाता है।
कैसे हुई रक्षाबंधन की शुरुआत
Raksha Ki Shuruaat Kaise Huyi? Raksha Bandhan Story- 1 : रक्षाबंधन के संबंध में वैसे तो कोई स्पष्ट लेख और कथा नहीं मिलती लेकिन भविष्य पुराण (Bhavishya Puran) में इसके संबंध में बताया गया है। भविष्य पुराण के अनुसार रक्षाबंधन की शुरुआत देवराज इंद्र जो स्वर्ग के देवता थे उनकी पत्नी ने किया था। बताया जाता है कि जब देवासुर संग्राम हो रहा था उस समय देवराज की पत्नी ने इसी दिन देवराज इंद्र की विजय कामना करते हुए उन्हें अभिमंत्रित कर रक्षासूत्र बांधा था। इस देवासुर संग्राम में यह रक्षा सूत्र कारगर हुआ कि देवराज इंद्र को विजय की प्राप्ति हुई।
कृष्ण ने रखा था द्रौपदी के सूत की लाज
Raksha Bandhan Story-2: पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण शिशुपाल का वध सुदर्शन चक्र से कर रहे थे उस समय उनकी एक उंगली कट गई थी। भगवान श्री कृष्ण की उंगली से बहते हुए रक्त को देखकर कृष्ण की बहन द्रौपदी अपने आंचल से एक टुकड़ा फाड़कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली में बांधा था।
कहते हैं उस समय भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को इस बंधन के लिए एक वचन दिया था। उन्होंने कहा था कि बहन तुम्हारे इस कपड़े मे लगे एक एक सूत का कर्ज उतार लूंगा। और भगवान श्री कृष्ण ने जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था उस समय अपने इस वचन को पूरा करने के लिए पहुंचे और द्रौपदी की लाज बचाई थी।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
Raksha Bandhan Shubh Muhurt: ज्योतिष आचार्यों का कहना है कि 11 अगस्त को सुबह 8ः50 से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। लेकिन यह पूर्णिमा तिथि में कुछ समय के लिए भद्राकाल है। ऐसे में राखी बांधने का समय 11 अगस्त को रात 8ः25 बजे से शुरू होकर दूसरे दिन 12 अगस्त को 7ः16 बजे तक है।