इस श्राप के चलते स्त्रियों महिलाओ को झेलनी पड़ती है पीरियड की पीड़ा, जानिए!
महिलाओं को माहवारी की समस्या होती है। जिसमें उन्हें बेहद कष्ट उठाने पड़ते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि महिलाओं के साथ ऐसा क्यों होता है।
महिलाओं को माहवारी की समस्या होती है। जिसमें उन्हें बेहद कष्ट उठाने पड़ते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि महिलाओं के साथ ऐसा क्यों होता है। अगर विज्ञान के दृष्टिकोण को अलग रखा जाए और अपने वैदिक लेखों पर दृष्टि डालते हुए उसका मूल्यांकन करें तो पता चलता है कि यह एक श्राप की वजह से हुआ है। लेकिन यह भी बताया गया है यह श्राप सीधे महिलाओं को नहीं दिया गया। भगवान के कहने पर महिलाओं ने इसे स्वीकार किया जिस पर इंद्र ने महिलाओं को एक अलग से वरदान दिया था। आइए जाने क्या है इसके पीछे की कहानी।
माहवारी के समय अपवित्र रहती हैं महिलाएं
एक ओर जहां महिलाआें को माहवारी के समय परेशानी का सामना करना पडता है वहीं हमारे वैदिक रिवाजों के अनुसार उन्हे अपवित्र माना गया है। माहवारी के समय महिलाएं मंदिर में प्रवेश नही कर पाती। वहीं जिस घर की रसोई में भगवान का भोजन बनता है वहां भी प्रवेश नही करती। इस दौरान साधारण पूजा महिलाएं कर सकती हैं।
क्या है कथा
बताया जाता है कि एक बार किसी बात को लेकर देवताओं के गुरू इंद्र पर क्रोधित हो गये थे। ऐसे हालात में दनवों ने इंद्रलोक पर आक्रमण कर विजय प्राप्त कर लिया। इंद्र भाग गये और ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। जहां गद्दी पाने का उपाय पूछा तो उन्हे किसी ब्रह्मज्ञानी की सेवा करने के लिए कहा।
असुरों को चढ़ाती थी हवन
कहा जाता है कि इंद्र एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा करने लगे। लेकिन ब्रह्मज्ञानी की माता असुर थी। ऐसे में वह इंद्र द्वारा दी गई पूरी हवन सामाग्री असुरों को चढ़ा देती थी। ऐसे में इंद्र को जो लाभ मिलना चाहिए नही मिल रहा था।
इंद्र ने कर दी हत्या
कहा जाता है कि जब इस बात की जानकारी इंद्र को हुई तो वह गुस्में में आकर उस ब्रह्मज्ञानी की हत्या कर दी। ऐसे में इंद्र पर ब्रह्महत्या लगा। अब वह ब्रह्मज्ञानी राक्षस के रूप में इंद्र के पीछे पड़ गया।
इद्र ने की घोर तपस्या
बताया जाता है कि उस राक्षस से बचने के लिए इंद्र ने घोर तपस्या की। करीब 1 लाख वर्ष तक तपस्या करने पर भगवान श्री विष्णु ने इंद्र को बचा तो लिया लेकिन कहा कि वह अपने पाप का हिस्सा कुछ पेड को दे, पृथ्वी को दे, जल को तथा महिलाओ को दें तभी इससे छुटकार पाया जा सकता है।
सभी ने किया स्वीकार
कहा जाता है कि इद्र ने इन चारों से निवेदन किया तो सभी ने स्वीकार कर लिया। जिसके बाद पेड़ को आर्शीवाद मिला कि वह कटने के बाद भी अपने को जीवित कर सकता है। पानी किसी भी वस्तु को स्वस्छ कर सकता है। पृथ्वी को लगी चोट अपने आप ही भर जायेंगी। वही महिलाओं को माहवारी इंद्र के श्राप में साझा होने की वजह से मिला। लेकिन इंद्र ने महिलाओ को आर्शीवाद दिया कि वह पुरूषों से ज्यादा काम का सुख प्राप्त करेंगी।