मरने के बाद भी गुरूजी छात्रों के आए काम, मेडिकल कॉलेज रीवा के छात्र शिक्षक की बॉडी से करेंगे पढ़ाई

रीवा मेडिकल कालेज (Rewa Medical College) में 17वां देहदान।

Update: 2021-12-31 06:13 GMT

Rewa MP News: गोविंद से बड़ा ओहदा गुरू का दिया गया है। तो ऐसे भी गुरू है जो अपने छात्रों के ज्ञान को लेकर सदैव सोचते रहे है। उन्ही मे से एक ऐसे शिक्षक जो कि मरोणोंउपरांत अपना देह मेडिकल कालेज के छात्रों को पढ़ाई के लिए दे गए और उनकी मौत हो जाने पर परिवार के लोग देहदान की प्रक्रिया पूरी किए है।

दरअसल रीवा के श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में 17वां देहदान हुआ है। यह देह सतना जिले के नागौद तहसील अंतर्गत ग्राम धौरहरा निवासी रिटायर्ड शिक्षक राजबली सिंह परिहार का है। जिनकी इच्छा के अनुसार उनके परिजनों ने पार्थिव शरीर कॉलेज प्रशासन को सौंप दिया।

इस दौरान परिजनों ने बताया कि बाबू जी शिक्षा के पुजारी रहे है और वे जब तक जिंदा रहे गांव-गांव जाकर बच्चों को पढ़ाया करते थे। अब मरने के बाद उनका शरीर रूपी यह किताब मेडिकल छात्रों के काम आएगा।

पति-पत्नी ने भरा था फार्म

एसएस मेडिकल कालेज प्रशासन के मुताबिक रिटायर्ड शिक्षक राजबली सिंह परिहार और उनकी धर्मपत्नी बृजभान कुमारी ने एक साथ वर्ष 2018 में देहदान का संकल्प फार्म भरा था। शिक्षक राजबली सिंह के परिजनों के द्वारा किए गये देहदान के बाद रीवा मेडिकल कालेज में यह 17वां देहदान हुआ है।

छात्रों के पढ़ाई के आता है काम

मरीजों के बेहतर ईलाज के लिए ज्ञान अर्जन करने वाले डॉक्टरों को शिक्षा लेने के दौरान मानव शरीर रचना की पढ़ाई करने के लिए बॉडी की महती आवश्यकता होती है। यह बॉडी ऐसे बॉडी दानवीरो से ही प्राप्त होती है। जिससे मेडिकल छात्र मानव शरीर के अंदर के हिस्सों को काफी करीब से देखने के साथ ही उसकी पहचान करके अध्ययन करते है।

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