शादी के बाद पहली रात को सुहागरात क्यों कहते हैं? जाने वजह!
शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहा जाता है। इसे जानने के लिए सुहागरात नामक शब्द को गहराई से समझना होगा।
सुहागरात नामक शब्द जैसे ही किसी भी युवा के कांनों में पड़ता है एक अलग ही भाव चेहरे पर उभरने लगते हैं। जैसे ही सुहागरात के सम्बंध में चर्चा शुरू हो जाती है तो सहज ही व्यक्ति एक नये उत्साह से भरा अपने आप को महशूस करता है। आज हम भी सुहागरात के सम्बंध में कुछ चर्चा करने जा रहे हैं। जिसके बारे में शायद आपकी मित्रमंडली द्वारा चर्चा न की होगी।
सुहागरात है महत्वपूर्ण रस्म
आमतौर पर सुहागरात के बारे में चर्चा मित्र मंडली के बीच ही हुआ करती है। जिसमें कई बार अनरगल बातें शामिल होती है। लेकिन सुहागरात हमारे धर्म का एक महत्वपूर्ण रस्म है। जिसे नव वर और वधू आपस में मिलकर मनाते हैं। आमतौर पर लोग इसे पति पत्नी के बीच होने वाले शारीरिक सम्बंध मानते हैं। लेकिन ऐसा नही है। इसके अलावा भी इस रस्म में बहुत कुछ होता है। लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में हम वह सब नही कर पाते जिसे सुहागरात के समय करना चाहिए।
क्यों कहते हैं सुहागरात
शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहा जाता है। इसे जानने के लिए सुहागरात नामक शब्द को गहराई से समझना होगा। सुहागरात दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें सुहाग और रात दो अलग-अलग शब्द जुडे हुए हैं। सुहाग रात का मतलब होता है जब लड़की शादी के बाद पहली बार अपने ससुराल आती है और उसकी रात अपने पति जिसे सुहाग कहा जाता है उसके साथ एकांत में बीतता है। यह मुलाकात रात के समय होती है। इसलिए उसे सुहाग रात कहा जाता है। या हम इसे कछ इस तरह भी समझ सकते हैं कि सुहाग के साथ बिताने वाली पहली रात सुहागरात कही जाती है।
सुहागरात में क्या करें और क्या नहीं
वैसे तो इस प्रश्न का उत्तर हर नौजवान के दिलो दिमाग में सुहागरात के समय छाया रहता है कि सुहागरात की रात उसे क्या करना है। लेकिन इसके बाद भी कुछ आवश्यक बाते हैं जिसे नौजवानों के जानना चाहिए।
ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि सुहागरात की रात नवविवाहित जोडे कुछ ऐसी भी गलती कर जाते हैं जिसकी वजह से उन्हे जीवन भर पछताना पड़ता है। सुहागरात एक पवित्र रस्म है इसे पूरी पवित्रता के साथ निभानी चाहिए।
सुहागरात के सम्बंध में कहा जाता है कि इस महत्वपूर्ण रात से विवाहित लड़का और लड़की अपने जीवन की शुरूआत करते हैं। इस शुरूआती रात में किसी का हस्ताक्षेप नही होता है। सभी निर्णय दोनो को मिलकर लेने होते हैं। ऐसे में सावधानी की आवश्यकता होती है।
कहा गया है कि शादी की पहली रात को अपने पार्टनर से उसके अतीत के बारे में दबाव देकर कोई भी बात नही पूछनी चाहिए।
कहा गया है कि न तो अपने परिवार वालों के सम्बंध में कोई भी गलत बात एक दूसरे से साझा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से रिस्तो में आगे चलकर तनाव उत्पन्न होता है।
किसी को नीचा दिखाने वाली बात अपने साथी के साथ कभी नही करनी चाहिए।
कहा गया है कि सुहागरात में बडे ही धैर्य का परिचय देते हुए शारीरिक संबंध बानाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
जैसा पहले कहा गया है कि सुहागरात की रात महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में पति तथा पत्नी को आपसी परिचय तथा भविष्यक के कुछ मूल संकल्प लेने चाहिए।
दोनो को चाहिए कि वह एक दूसरे से बात करे और एक दूसरे को समझने का प्रयास करना चाहिए।
जैसे जैसे दोनो एक दूसरे को समझने लगेंगे एक दूसरे की सहमति के आधार पर एक हो सकते हैं।