Hareli Festival 2023: हरेली त्यौहार कब है? जानें इसे जुडी हर एक जानकारी
Hareli Festival 2023 Chhattisgarh: हरेली त्यौहार कब है और इसे मनाने के पीछे की वजह क्या है। तो आइए इस त्यौहार के बारे में सब कुछ जानते हैं। हरेली का शाब्दिक अर्थ हरियाली से है। हरेली पर्व का सीधा संबंध हमारे पर्यावरण से जुड़ा हुआ है।
Hareli Festival 2023 Chhattisgarh: क्या आप भी जानना चाहते हैं की हरेली त्यौहार कब है? (Hereli Tyohar Chhattisgarh Kab Hai) इसे मनाने के पीछे की वजह क्या है? तो आइए इस त्यौहार के बारे में सब कुछ जानते हैं। हरेली का शाब्दिक अर्थ हरियाली से है। हरेली पर्व Hareli Festival का सीधा संबंध हमारे पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। इस दिन पर्यावरण को बचाने के लिए प्रकृति की पूजा-अर्चना की जाती है। हमारा भारत देश प्रकृति का उपासक है। प्रकृति की रक्षा करना सबका परम कर्तव्य है। क्योंकि प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं है। पर्यावरण संरक्षण से जहां मानव जीवन में सुधार आता है तो वहीं इससे वन्य जीवों की भी रक्षा होती है। पर्यावरण संरक्षित कर ही जीवन सुरक्षित किया जा सकता है।
Hareli Festival of Chhattisgarh: हरेली छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार
छत्तीसगढ़ Chhattisgarh Hareli Festival के प्रमुख त्यौहारों में से एक हरेली है। छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान प्रदेश है। यहां की अधिकांश आबादी कृषक वर्ग से आते हैं। हरेली पर्व किसानों से ज्यादा ताल्लुक रखता है। क्योंकि किसान अपने खेत में फसल हरा-भरा हो जाता है तब हरेली त्यौहार मानते हैं। इस दिन लोगों द्वारा प्रकृति के साथ-साथ अपनी फसल की रक्षा की कामना करते हुए पूजा करते हैं। जिससे मौसम बीमारी एवं कीट पतंगों से फसल की रक्षा हो और उनको अधिक उपज मिल सके।
हरेली त्यौहार मनाने की वजह
फसलों में किसी प्रकार की बीमारी न लग सके इसके साथ ही पर्यावरण सुरक्षित हो, जिसको लेकर किसानों द्वारा हरेली त्यौहार मनाया जाता है। हरेली अमावस्या अर्थात श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को किसान अपने खेत एवं फसल की धूप, दीप एवं अक्षत से पूजा करते हैं। पूजा में विशेष रूप से भिलवा वृक्ष के पत्ते, टहनियां व दशमूल (एक प्रकार का कांटेदार पौधा) को खड़ी फसल में लगाकर पूजा करते हैं। किसानों का मानना है कि इससे कई प्रकार के हानिकारक कीट पतंगों एवं फसल में होने वाली बीमारियों से रक्षा होती है।
हरेली त्यौहार को नहीं करते खेती का कार्य
हरेली अमावस्या के दिन खेती का कार्य करना वर्जित है। इसलिए इस दिन कोई भी किसान अपने खेतों में कार्य नहीं करते हैं। हरेली त्यौहार को गेड़ी चढ़ने का त्यौहार भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन लोग बांस की लकड़ी से गेड़ी बनाकर गेड़ी चढ़ते हैं। गेड़ी चढ़ने का आनंद ही अलग है लोग इस दिन गेड़ी चढ़कर आनंद उत्सव मनाते हैं। इस दिन पुजारी बैगा को अन्न भेंट किया जाता है। हरेली अमावस्या को गांव के पुजारी बैगा घर-घर जाकर दशमूल पौधा एवं भिलवा पत्ते आदि को घर के मुख्य दरवाजे पर बांधते हैं।
Hareli Tihar Kab Hai 2023: हरेली त्यौहार कब है?
श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरेली त्योहार मनाया जाता है। जुलाई के महीने में यह त्यौहार पड़ता है। पानी बरसने के बाद खेतों में फसल हरी-भरी हो जाती है तब यह त्यौहार मनाते हैं। इस वर्ष हरेली त्यौहार 17 जुलाई सोमवार को मनाया जाएगा। क्योंकि इस दिन श्रावण अमावस्या पड़ रही है। लोगों द्वारा प्रकृति के साथ-साथ अपनी फसल की रक्षा हेतु पूजा अर्चना की जाएगी।