नाम-धर्म पूंछकर मारी गोली: कौन है TRF? जिसने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली; 27 की मौत, 6 साल का सबसे बड़ा अटैक
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में मंगलवार दोपहर आतंकियों ने पर्यटकों के एक समूह पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई। यह पिछले 6 सालों में कश्मीर में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला है। आतंकी संगठन TRF ने हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसका सरगना पाकिस्तान में बैठा शेख सज्जाद गुल है।;

मंगलवार, 22 अप्रैल की दोपहर करीब 2 बजे, कश्मीर की खूबसूरत बैसरन घाटी (पहलगाम) पर्यटकों की चहल-पहल से गुलजार थी। देश के विभिन्न राज्यों से आए 40 से अधिक पर्यटक खुले मैदान में घूम रहे थे, कुछ पास की दुकानों के बाहर कुर्सियों पर बैठे थे। तभी जंगल की ओर से दो हथियारबंद आतंकी आए। उन्होंने एक पर्यटक से उसका नाम-धर्म पूछा और फिर उसकी ओर इशारा करते हुए कहा, "ये मुस्लिम नहीं है।" इसके तुरंत बाद, एक आतंकी ने पिस्टल निकालकर पर्यटक के सिर में गोली मार दी। इसके बाद लगभग 10 मिनट तक आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग जारी रखी, जिससे पर्यटकों और दुकानदारों में दहशत फैल गई।
मृतकों की संख्या 27 हुई, 6 साल में सबसे बड़ा हमला
शुरुआत में एक पर्यटक की मौत की खबर आई थी, लेकिन देर रात तक यह आंकड़ा बढ़कर 27 तक पहुंच गया। मरने वालों में देश के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यटकों के अलावा कुछ स्थानीय कश्मीरी और विदेशी नागरिक (नेपाल और सऊदी अरब के) भी शामिल बताए जा रहे हैं। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला है, पुलवामा में 40 जवान शहीद हुए थे। इस कायराना हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली है। टीआरएफ का सुप्रीम कमांडर शेख सज्जाद गुल है, जो मूल रूप से श्रीनगर का रहने वाला है लेकिन फिलहाल पाकिस्तान में है।
चश्मदीदों की जुबानी: खौफ के वो 10 मिनट
घटनास्थल पर मौजूद दुकानदारों और पर्यटकों ने उस खौफनाक मंजर को बयां किया। एक दुकानदार के मुताबिक, आतंकियों ने दुकानों से कुछ दूरी पर झाड़ियों की आड़ लेकर फायरिंग शुरू की। गोलियां लगते ही 4-5 पर्यटक वहीं गिर पड़े। फायरिंग रुकने के बाद आतंकी जंगल की तरफ भाग गए। गोलियों की आवाज सुनकर स्थानीय लोग और घोड़े वाले मदद के लिए दौड़े। गुजरात से आए एक पर्यटक ने बताया, "मैंने गोली चलने की आवाज सुनी। झाड़ियों से फायरिंग हो रही थी। मैंने देखा कुछ लोग पिस्टल से गोलियां चला रहे हैं। मैं छिप गया।" एक महिला पर्यटक ने कहा, "पहले लगा कोई बलून फटा होगा, फिर चीख-पुकार सुनकर हम जान बचाने भागे।" मौके पर पहुंचे ट्रैफिक पुलिसकर्मी वसीम खान ने बताया, "करीब 10 मिनट फायरिंग हुई। लोग खून से लथपथ पड़े थे। स्थानीय लोगों ने घायलों को घोड़ों पर और कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया।"
हमले के पीछे कौन? पाकिस्तानी साजिश का शक
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस हमले के पीछे पाकिस्तान से संचालित आतंकी गुटों का हाथ होने का प्रबल संदेह है। एक्सपर्ट्स मानते हैं:
मकसद: कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटने के बाद बने शांति के माहौल को बिगाड़ना और हिंदुओं-मुसलमानों के बीच दरार पैदा करना।
शामिल गुट: हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का हाथ माना जा रहा है, जिसे पाकिस्तान से निर्देश मिल रहे हैं। आजकल कश्मीर में सक्रिय 90% आतंकी पाकिस्तानी हैं।
पाकिस्तानी आतंकी क्यों? स्थानीय आतंकी आमतौर पर पर्यटन को निशाना बनाने से बचते हैं क्योंकि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। पाकिस्तानी आतंकियों को कश्मीरियों की रोजी-रोटी से कोई लेना-देना नहीं है।
लोकल नेटवर्क: हमले बिना स्थानीय मदद (ओवर ग्राउंड वर्कर्स - OGWs) के संभव नहीं हैं। पाकिस्तान में बैठे कश्मीरी आतंकी और ISI इन OGW नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं।
TRF जैसे नए नाम क्यों?
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर और हिजबुल जैसे पुराने आतंकी गुट 2019 के बाद TRF या कश्मीर टाइगर्स जैसे नए (प्रॉक्सी) नामों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके पीछे वजहें हैं - यह दिखाना कि कश्मीर में आतंकवाद की नई लहर है, धर्मनिरपेक्ष नाम रखकर भ्रम पैदा करना, और इसे स्थानीय युवाओं का आंदोलन दिखाना। पूर्व डीजीपी एसपी वैद के मुताबिक, यह ISI की दुनिया को गुमराह करने की चाल है कि कश्मीर के लोग आजादी के लिए लड़ रहे हैं।