वाराणसी ब्लास्ट केस के दोषी आतंकी वलीउल्लाह को 16 साल बाद कोर्ट ने दी सज़ा ए मौत

Varanasi blast case convict Waliullah sentenced to death: साल 2006 में काशी के संकट मोचन मंदिर, दशाश्वमेघ घाट और कैंट रेलवे स्टेशन पर एक के बाद एक हुए थे जिसमे 18 लोग मारे गए थे

Update: 2022-06-06 12:23 GMT

वाराणसी ब्लास्ट केस: गाजियाबाद की अदालत ने साल 2006 में वाराणसी में आतंकी हमले दोषी आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सज़ा सुनाई है, सोमवार दोपहर साढ़े तीन बजे गाजियाबाद जिला न्यायाधीश जीतेन्द्र कुमार सिन्हा ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वाराणसी सीरियल बम ब्लास्ट केस के दोषी को तबतक फांसी के फंदे से लटकाया जाए जबतक उसकी मौत न हो जाए. 

याद दिला दें की साल 2006 की 5 मार्च की तारिख के दिन इस्लामिक आतंकी ने बनारस को अपना निशाना बनाया था, यह हमला आज से 16 साल पहले काशी के संकट मोचन मंदिर, दशाश्वमेघ घाट और कैंट रेलवे स्टेशन में हुए थे। इस आतंकी हमले  में 18 बेक़सूर लोगों की मौत हुई थी, जो मंदिर में दर्शन करने के लिए गए थे. संकट मोचन मंदिर में 7 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी. इस्लामिक आतंकियों ने हिन्दुओ और हिन्दू मंदिरों को अपना निशाना बनाया था. 

16 बाद बाद मिला मृतकों को न्याय 

देश का कोर्ट अपनी कार्रवाई में इतना व्यस्त है कि एक आतंकी को सज़ा-ए-मौत देने में 16 साल का वक़्त लग गया, इस मामले में 47 गवाहों को पेश किया गया था जिसके बाद आतंकी वलीउल्लाह को कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई, लेकिन यह सज़ा गाजियाबाद डिस्ट्रिक कोर्ट ने सुनाई है, अब इसके बाद हाई-कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में भी मामला जा सकता है. DGC ने बताया कि दूसरा मुकदमा दशाश्वमेघ घाट पर बम धमाके से जुड़ा था। विस्फोटक अधिनियम की धारा 3, 4 और 5 में वलीउल्लाह को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई है। जबकि UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act ) में उसे उम्रकैद हुई है।

वलीउल्लाह प्रयागराज का रहने वाला है, हिन्दुओं से नफरत करता है 

5 अप्रैल 2016 को पुलिस ने इस जिहादी आतंकी वलीउल्लाह को उसके घर फुलफुल प्रयागराज से गिरफ्तार किया था, पहले यह केस वाराणसी कोर्ट में था जिसके बाद इसे गाजियाबाद ट्रांसफर कर दिया था. वलीउल्लाह हिन्दुओं से नफरत करता था, इसी लिए इसने मंदिरों को अपना निशाना बनाया। 

अभी 3 आतंकियों को पकड़ना बाकी 

काशी के हिन्दू मंदिरों पर आतंकी हमला करने वाले वलीउल्लाह को तो उसके किए की सज़ा मिल गई लेकिन इस घटना में संलिप्त 3 और आतंकियों को आज भी पुलिस नहीं पकड़ पाई है, 16 साल बीत गए हैं लेकिन आतंकी अभी भी पुलिस के पकड़ से बाहर हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि फरार आतंकी धमाके को अंजाम देने के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश भाग गए और कभी वापस नहीं लौटे। 

Tags:    

Similar News