UN की चेतावनी! विश्व में मात्र 70 दिनों के लिए बचा गेहूं, भारत ने प्रतिबंध नहीं हटाया तो भयावह होगी स्थिति
दुनिया भर में गेहूं को लेकर संकट की घडी मंडरा रही है। और अब सभी
वक्त का बदलना इसी को कहते हैं। वाह भारत देश का क्या समय बदला है। हमारे दादा पुरखे जिस अमेरिका के रिजेक्टेड लाल, कठिया गेहूं को खाने के लिए मजबूर हुए थे, आज वही अमेरिका जैसा ताकतवर देश भारत की ओर गेहूं के लिए देख रहा है। अमेरिका ही नहीं विश्व के तमाम देश भारत से आस लगाए बैठे हैं कि भारत से गेहूं आएगा तभी उनके देश के लोगों को रोटी नसीब होगी। आपको बता दें की विश्व की हालत कुछ ऐसी हो चली है कि आने वाले 70 दिनों के बाद वहां के लोगों को रोटी का स्वाद मिलने वाला नहीं है।
भारत के ऐसे भी दिन थे
चाहे कोई कितनी भी तरक्की कर ले उसे अपने बीते हुए दिन कभी न कभी याद आ ही जाते हैं। ऐसा ही हाल कुछ भारत के साथ भी है। एक समय ऐसा था जब देश में गेहूं का उत्पादन नाम मात्र का हुआ करता था। आए दिन खाद्यान्न का संकट देश को परेशान कर दिया करता था। उस समय देश के सबसे छोटे कद के प्रधानमंत्री पंडित लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान जय किसान' का नारा देते हुए देश को खाद्यान्न के लिए आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भरसक प्रयास किया। आज वह सपना ऐसा साकार हुआ कि जो देश कभी अपने यहां से रिजेक्टेड गेहूं भारत को दिया करते थे। आज वह भारत की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं।
स्टॉक हुआ सीमित
गेहूं के संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है की दुनिया के पास मात्र 70 दिनों के लिए ही गेहूं का स्टॉक बचा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के अनुसार गेहूं का भंडारण 2008 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा कही गई इन बातों को सत्य मान लिया जाय तो पता चलता है कि विश्व में गेहूं का भारी संकट दिखाई दे रहा है।
विश्व के दूसरे नंबर पर भारत
गेहूं के कुल उत्पादन पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो विश्व स्तर पर भारत गेहूं उत्पादन में दूसरे पायदान पर खड़ा है। एक और जहां सर्वाधिक गेहूं का उत्पादन रसिया और यूक्रेन करते हैं। वही दूसरे नंबर पर भारत सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन कर रहा है।
हाल के दिनों में भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध विदेशों की चिंता का कारण बना हुआ है। अब विश्व को यह लगने लगा है कि जब भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है तो तमाम देशों को गेहूं कैसे मिलेगा।
वहीं दूसरी ओर रूस और यूक्रेन युद्ध में उलझे हुए हैं। यूक्रेन का गेहूं यहां वहां बिखरा पड़ा है। जो कुछ एकत्र होकर बंदरगाहों तक पहुंच गया है वह भी बाहर नहीं पहुंच पा रहा है। अमेरिका जैसे देशों की चिंता है कि अगर रूस ने यूक्रेन के गेहूं पर अपना कब्जा कर लिया तो किसी भी सूरत पर वह बाहर नहीं आ सकता। भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध अपने आप में उस संकट को और हवा दे रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति मोदी जी से कर सकते हैं चर्चा
जापान में शुरू होने जा रहे क्वाड बैठक में शामिल होने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच चुके हैं। इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन भी शामिल होंगे। संभवतः माना जा रहा है कि बाइडन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी से निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध कर सकते हैं।