शक्तिकांत दास: बिना अर्थशास्त्र पढ़े आरबीआई के गवर्नर बने, हिस्ट्री की पढाई कर देश की सबसे बड़ी वित्तय संस्था संभाल रहे!
Shaktikanta Das Education Background: भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कभी इकोनॉमिक्स की स्टूडेंट्स नहीं रहे और देश के दूसरे गैर अर्थशास्त्री RBI Governor बन गए
Shaktikanta Das Education Background: दो महीने के अंदर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 2 बार Repo Rate बढाकर इसे 4.90% कर दिया, रेपो रेट बढ़ने के बाद RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास इंटरनेट में ट्रेंड होने लगे, लोग शक्तिकांत दास की कुशलता पर सवाल खड़े करने लगे क्योंकि वो देश की सबसे बड़ी वित्तय संस्था RBI के गवर्नर हैं लेकिन उन्होंने कभी अर्थशास्त्र की पढाई की ही नहीं। गैर-अर्थशास्त्री होने के बावजूद शक्तिकांत दास भारत की अर्थव्यवस्था की कामान संभाले हुए हैं.
शक्तिकांत दास भारत के दूसरे गैर-अर्थशास्त्री गवर्नर (Non-Economist RBI Governor) हैं, उनकी नियुक्ति के 28 साल पहले एस वेंकटरमन (S Venkitaraman) भारतीय रिज़र्व बैंक के ऐसे पहले गवर्नर थे जो इकोनॉमिस्ट नहीं थे. जाहिर है किसी गैर अर्थशास्त्री को देश की वित्त व्यवस्था की कमान सौंप देना वैसा ही है जैसे 12th पास नेता को उच्च शिक्षा मंत्री बना देना।
जाहिर है यह जानकर आपको हैरानी हुई होगी कि Reserve Bank Of India के Governor जो पूरे देश की वित्तय संस्थानों और भारत की अर्थव्यवस्था के शीर्ष पद में बैठे हैं उनका एजुकेशन बैकग्राउंड उनकी जिम्मेदारियों से मेल नहीं खाता है. लेकिन सिर्फ RBI गवर्नर ही नहीं शक्तिकांत दास इससे पहले कई ऐसी पोजीशन में रहे हैं जहां एक इकोनॉमिस्ट को होना था.
शक्तिकांत दास ने क्या पढाई की थी
Non Economist RBI Governor Shaktikanta Das: 26 फरवरी 1957 में भुवनेश्वर में जन्मे शक्तिकांत दास की स्कूली पढाई Demonstration Multipurpose School, Bhubaneswar से हुई, इसके बाद दिल्ली विश्विद्यालय के St. Stephen's College से उन्होंने BA और MA इतिहास विषय के किया। इसके बाद UPSC निकालकर वह एक IAS अधिकारी बने और उनकी नियुक्ति तमिल नाडु में हुई. इसके बाद दास प्रमोट होते-होते प्रिंसिपल सेकेट्री, स्पेशल कमिश्नर रेवेन्यू, सेकेट्री रेवेन्यू, सेकेट्री कॉमर्स टैक्सेस, कलेक्टर, यूनियन इकोनॉमिक सेकेट्री, यूनियन रेवेन्यू सेकेट्री, यूनियन फर्टिलाइज़ सेकेट्री बने.
इसके बाद शक्तिकांत दास वित्त मंत्रालय में जॉइंट सेकेट्री बन गए, केंद्र सरकार ने उन्हें बाद में 15 वीं फाइनेंस कमीशन का मेंबर बना दिया था. इससे पहले शक्तिकांत दास अलटर्नेट गवर्नर के रूप में World Bank, ADB, NDB और AIIB. में भी अपनी सेवाएं दे चुके थे. उन्होंने IMF, G20, BRICS, SAARC जैसे इंटरनेशनल फोरम में भारत का प्रनिधित्व किया है.
11 दिसंबर 2018 में ACC ने उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक का गवर्नर बना दिया, उनका कार्यकाल सिर्फ तीन साल के लिए था, लेकिन भारत भारत सरकार अबतक RBI के लिए कोई दूसरा काबिल गवर्नर नहीं खोज पाई.
शक्तिकांत दास ने अपने कॉलेज के दिनों में कभी अर्थशास्त्र से जुडी पढाई नहीं की, उन्होंने इतिहास विषय से एमए किया और उत्कल युनिवर्सिटी दे D.Lit. की उपाधि हासिल की, लेकिन IAS बनने के बाद उन्हें जितने भी विभाग मिले उनमे से ज़्यादातर वित्त और आर्थिक जिम्मेदारियों वाले थे. उनके वित्तय कार्य अनुभव को देखते हुए सरकार ने गैर-अर्थशास्त्री होने के बाद शक्तिकांत दास को भारत की सबसे बड़ी वित्तय संस्था RBI के शीर्ष पद गवर्नर की पोजीशन में नियुक्त कर दिया। कायदे से 12 दिसम्बर 2021 को ही उनका रिटायरमेंट होना था जो नहीं हुआ.
RBI Repo Rate बढ़ाने के बाद शक्तिकांत दास पर सवाल उठने लगे थे, क्योंकि मांग कम करके महंगाई कम करने की यह योजना सिर्फ फौरी तौर पर लोगों को राहत दे सकती है. शक्तिकांत दास ने पहले रेपो रेट 4% से बढाकर 4.40% किया और एक महीने के अंदर 0.50% और बढाकर इसे 4.90% कर दिया, लेकिन RBI बैंक इस साल के अंत तक रेपो रेट को 5.9% तक बढ़ा सकता है.