आयुर्वेद का ज्ञानार्जन करेंगे स्कूली बच्चे, पाठ्यक्रम में सरकार करेगी शामिल
आयुर्वेद को स्कूल के पाठ्यक्रम में सरकार शामिल करेगी
आज भले की एलोपैथी चिकित्सा ने अपना स्थान तेजी से बनाया हो, लेकिन आयुर्वेद का महत्व जस का तस बरकरार है। इसे अब सरकार ने भी माना और आयुर्वेद के ज्ञान को बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने की तैयारी कर रही है।
जिसके तहत नर्सरी, एलकेजी , यूकेजी, कक्षा 1 से लेकर 12 वीं तक के स्कूलों में अब आयुर्वेद व योग छात्रों को पढ़ाया जायेगा। आ रही खबरों के तहत आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने आयुर्वेद को पाठ्यक्रम में शामिल करने संबंधित लिखित में जानकारी लोकसभा में दी.
पीएम का इसमें लगाव
आयुर्वेद महासम्मेलन व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने बताया कि, केंद्र सरकार व खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रबल इच्छा रही है कि हजारों वर्ष पुराना आयुर्वेद - योग की गंभीरता व उपयोगिता के साथ इसकी सुलभता से छात्र बचपन से ही अवगत हो सकें और दैनिक जीवन की दिनचर्या में नियमित रूप में शामिल कर सकें।
कोरोना से मिली सीख
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने सभी को सिखा दिया कि मजबूत इम्यूनिटी की शरीर को कितनी जरूरत रहती है और इसके लिये आयुर्वेद-योग से बढ़कर कुछ नहीं। वहीं एलोपैथिक औषधियों के साइडइफेक्ट आयुर्वेद की तुलना में कहीं ज्यादा हैं। निश्चित रूप से अब छात्रों में जागरूकता से आयुर्वेद रिसर्च को भी बढ़ावा मिलेगा।