भारत में लाउडस्पीकर बजाने के नियम: लाउडस्पीकर को लेकर बवाल मचा है, इसे लेकर क्या कायदे-कानून हैं
The rules and regulations regarding loudspeakers in India: भारत में लाउडस्पीकर को लेकर जो कानून बनाया गया है क्या उसका सचमुच पालन होता है
भारत में लाउडस्पीकर बजाने का कानून क्या कहता है: भारत के कानून में लाउडस्पीकर को लेकर कई नियम और कायदे हैं. कहां कब कितना और कबतक बजाना है इसके बारे में सब कुछ लिखा है. लेकिन क्या देश में लाउडस्पीकर के लिए बनाए गए कानून का सचमुच पालन होता है और जब इन नियमों का उल्लंघन होता है तो पुलिस-प्रशासन क्या कार्रवाई करता है?
"इस समय देश में लाउडस्पीकर को लेकर भसड़ मची है. हिन्दू लोगों का कहना है कि मस्जिदों में हर रोज़ सुबह से लेकर शाम तक 5 बार लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है. इससे ध्वनि प्रदूषण होता है, लोगों को न चाहते हुए भी तेज़ आवाज में अज़ान सुननी पड़ती है, बच्चे पढाई नहीं कर पाते और तनाव बढ़ता है. इसका तोड़ निकालने का तरीका भी बड़ा अजीब है. लोगों ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर का विरोध करने के लिए चौराहों में लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा बजाना शुरू कर दिया, एकदम से ध्वनिप्रदूषण का मुद्दा साम्प्रदाईक बन गया."
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने प्रमुख राज ठाकरे ने भी महाराष्ट्र सरकार को मस्जिदों से लाऊड स्पीकर हटाने का अल्टीमेटम दिया है, अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो राज ठाकरे और उनकी पार्टी अपने लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा बजाएगी। मतलब यहां मुद्दा ध्वनि प्रदूषण का नहीं है. बल्कि मुद्दा है मस्जिदों में लाउडस्पीकर से बजाए जाने वाली अज़ान का. तो धर्म और मजहब के तनाव को किनारे रखते हुए अपन सिर्फ कानून और कायदो की बात करते हैं. और जानते हैं कि भारत में लाउडस्पीकर बजाने के नियम क्या कहते हैं.
लाउडस्पीकर बजाने के क्या नियम हैं
भारत में लाउडस्पीकर को बजाए जाने को लेकर साल 2000 में कानून बना था. ध्वनि प्रदूषण अधिनियम और नियंत्रण नाम के इस कानून 1986 में बने पर्यावरण संरक्षण वाले कानून के अंडर आता है. इस कानून की पांचवी धारा पब्लिक प्लेस में लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबन्ध लगाती है.
लाउडस्पीकर को लेकर कानून क्या कहता है
- पब्लिक प्लेस में तेज़ आवाज करने या कार्यक्रम में लाउडस्पीकर बजाने के लिए सामने वाले को प्रशासन से लिखित मंजूरी लेनी होती है
- सार्वजानिक स्थानों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाना में प्रतिबंध है
- राज्य सरकार रात 12 बजे तक विशेष कार्यक्रम में सार्वजानिक स्थानों में लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति दे सकती है लेकिन यह अनुमति 15 दिन से ज़्यादा नहीं होती है
- राज्य सरकार के पास अधिकार है कि वह अपने हिसाब से किसी भी क्षेत्र को शांत क्षेत्र घोषित कर सकती है. जैसे स्कूल-कॉलेज, हॉस्पिटल-कोर्ट परिसर के 100 मीटर के दायरे में तेज़ आवाज वाले कार्यक्रम नहीं हो सकते।
- लाउडस्पीकर की आवाज कितने डेसीबल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए
- ध्वनि प्रदूषण अधिनियम और नियंत्रण कानून के तहत सार्वजनिक स्थानों में 10-5 डेसीबल से ज्यादा साउंड नहीं निकलना चाहिए,
- रिहाइशी इलाकों में साउंड लेवल सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल और रात 10 से सुबह 6 बजे तक 45 डेसीबल ही होना चाहिए।
- व्यवसाइक इलाकों में सुबह 6 से रात 10 बजे तक 65 डेसीबल और रात 10 से सुबह 6 बजे तक 55 डेसीबल होना चाहिए।
- उद्योगिक इलाकों का साउंड लेवल सुबह 6 से रात 10 बजे तक 75 डेसीबल तक होना चाहिए।
- लाउडस्पीकर बजाने का नियम तोड़ने पर क्या सज़ा मिलती है
कानून के तहत जो इन नियमों को तोड़ता है उसे 5 साल तक की जेल और 1 लाख रुपए जुर्माना दोनों हो सकती है. भारत के हर राज्य में अलग-अलग कायदे हैं लेकिन कहीं भी यह 70 डेसीबल से ज़्यादा साउंड करने की अनुमति नहीं है।
लाउडस्पीकर बजाने पर कोर्ट क्या कहता है
- साल 2005 में लिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि त्यौहार के मौके पर आधी रात तक लाउडस्पीकर बजाए जा सकते हैं. लेकिन 15 दिन से ज़्यादा नहीं। साल 2016 में बॉम्बे कोर्ट ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मूल अधिकार न होना बताया था. कोर्ट के फैसले के अनुसार सभी धर्म-मजहब के लोगों को अपने धर्मस्थलों में इस नियम का पालन करना होगा।
- जून 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा था कि लाउडस्पीकर की आवाज 5 डेसीबल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए
- सितंबर 2018 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर पर बैन लगा दिया था.
- जुलाई 2019 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सार्वनजिक स्थानों में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगा दिया था.
- मई 2020 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि मस्जिदों में नमाजी अपनी आवाज में अजान दे सकते हैं लेकिन लाउडस्पीकर में अज़ान देना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है.
- जनवरी 2021 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य से अवैध लाउडस्पीकर हटाने का आदेश जारी किया था
क्या मस्जिदों में लाउडस्पीकर गैरकानूनी हैं
इन नियमों का पालन करने की बात हो तो बिलकुल गैरकानूनी है. मस्जिदों में सुबह की अज़ान सुबह 5:15 से शुरू होती है, मस्जिदों में लगने वाले लाउडस्पीकर की आवाज से 100 से 120 डेसीबल साउंड निकलता है. भारत के केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने लाउडस्पीकर से अधिकतम साउंड सिर्फ 65 डेसीबल तय किया है. इससे ज़्यादा निकलने वाली आवाज इंसानों सहित संपर्क में आने वाले हर जीव को प्रभावित करती है.
लाउडस्पीकर से क्या नुकसान होते हैं
- रिसर्च के अनुसार लगातार 85 डेसीबल तक का साउंड सुनने से इंसान बहरा हो सकता है.
- तेज़ ध्वनि से लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव होता है
- तेज़ लाउडस्पीकर से उल्टी हो सकती है, इससे इंसान के नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है जो बहुत घातक हो सकता है.
- दिल की बीमारी होती है, ज़्यादा साउंड खून में केलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ा देता है.
- 120 डेसीबल से ज़्यादा आवाज सुनने पर गर्भवती महिला के भ्रूण पर बुरा असर होता है
- 180 डेसीबल से ज़्यादा साउंड इंसान को मार सकता है