खेल रत्न अवॉर्ड से राजीव गांधी का नाम हटाया गया, अब पुरस्कार हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के नाम पर होगा, पीएम ने की घोषणा
खेल पुरस्कार का नाम सरकार ने अब हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नाम से कर दिया है। यह अवॉर्ड अब तक भारत रत्न राजीव गांधी के नाम से था।
नई दिल्ली। खेल रत्न अवॉर्ड को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुये अब इसका नाम हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नाम से कर दिया है। यह पुरस्कार अब तक भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से था।
पीएम ने ट्वीट पर दी जानकारी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि ये अवॉर्ड हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा। उन्होने कहा कि ध्यान चंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है।
31 वर्ष पूर्व हुई थी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत
दरअसल भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न है। इसकी शुरूआत लगभग 31 वर्ष पहले 1991-92 में की गई थी। इसे पुरस्कार को पाने वाले खिलाड़ी को सरकार की ओर से प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है।
अब तक 45 खिलाड़ियो को मिला है अवार्ड
खेल रत्न अवॉर्ड की शुरूआत होने के बाद से अब तक 45 खिलाड़ियो को यह पुरस्कार सरकार के द्वारा दिया जा चुका है। सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था। हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा को यह अवॉर्ड दिया गया है। जबकि हॉकी में अब तक 3 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। इसमें धनराज पिल्ले, सरदार सिंह और रानी रामपाल का नाम शामिल है।
ध्यान चंद ऐसे बने हॉकी के जादूगर
मेजर ध्यान चंद ने 16 वर्ष की आयु में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। उनके अंदर हॉकी खेल के प्रति इतना गहरा लगाव था कि वे ड्यूटी करने के बाद रात के समय चांद की रोशनी में खेल की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यान चंद कहा जाने लगा।
मेजर ध्यान चंद्र ने भारत को 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल (Gold Medals in Olyampics) जीत कर दिलाया था। 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब ध्यान चंद की हॉकी को जादू कहा गया और ध्यान चंद्र को हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा। मेजर ध्यान चंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।