Old Currency 2022: दमड़ी, आना, धेला और पाई का असली मतलब क्या है? जानिए

Old Coin: एक जमाना ऐसा भी था जब रुपए नहीं, पैसे नहीं, दमड़ी, आना, धेला और पाई से लेनदेन होता था.

Update: 2022-10-14 10:49 GMT

Old Currency 2022

Old Coin: एक जमाना ऐसा भी था जब रुपए नहीं, पैसे नहीं, दमड़ी, आना, धेला और पाई से लेनदेन होता था। इसके पूर्व दो समान वस्तुओं के आदान-प्रदान के माध्यम से व्यापार और लेनदेन संचालित हुआ करता था। बाद में कुछ मुद्राएं चलन में आई और आज के समय में सरकार ई-रुपए लांच करने जा रही है। या कहें कि लांच भी कर दिया है। यह ई रूपया एक एक ऐसा माध्यम होगा जहां कुछ दिखेगा नहीं, दीया नहीं जाएगा इसके बाद भी लेनदेन पूरा होगा। आइए जाने क्या दमड़ी, आना, धेला और पाई का क्या मतलब है।

कहावत में है अस्तित्व

व्यवहारिक जीवन में तो दमड़ी, आना, धेला और पाई का कोई मतलब नहीं है। लेकिन इनका कहावत में आज भी पूरा का पूरा अस्तित्व बरकरार है। ऐसे में आज की नई जनरेशन इसे समझ नहीं पाती है कि आखिर यह कह क्या रहे हैं। कई बार घर के बडे-बुजूर्ग लोगों द्वारा हमे धमकाते हुए कहा जाता है कि तुझे तो मैं एक फूटी कौड़ी नहीं दूंगा। तू एक एक पाई के लिए तरसेगा। आखिर इन बातों का क्या मतलब है।

क्या यह मुद्राएं हैं?

दमड़ी, आना, धेला और पाई का मतलब समझने के लिए सबसे पहले आपको यह जानना आवश्यक है कि यह सभी हमारी पुरानी मुद्राएं थी। इन मुद्राओं का भी उपयोग आज के रुपयों की तरह किया जाता था। सारे लेनदेन इन्हीं दमड़ी, आना, धेला और पाई से पूरा होता था।

जाने इनकी कीमत

अगर आप 25 पैसे जिसे चवन्नी या फिर 50 पैसे जिसे अठन्नी के नाम से जाना जाता है उसका उपयोग किया होगा तो आपको दमड़ी, आना, धेला और पाई का मतलब समझने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

जानकारी के अनुसार 3 फूटी कौड़ी मिलाकर एक कौड़ी बनती थी।

10 कौड़ी मिलाने पर एक दमड़ी।

एक दमड़ी मिलाने पर एक धेला।

डेढ़ पाई से एक धेला तथा

3 पाई मिलाकर एक पैसा बनता था।

इसके बाद सीधे-सीधे एक पैसा, दो पैसा, तीन पैसा, 5 पैसा, 10 पैसा, 20 पैसा, 25 पैसा, 50 पैसा का चलन हुआ करता था। इन्हीं पैसों से लेन देन की प्रक्रिया पूरी होते थी।

सोने चांदी के सिक्कों का चलन

बताया जाता है कि 1540 से 1545 के बीच शेरशाह सूरी के शासनकाल में पहली बार रुपया शब्द का उपयोग किया गया। 11 ग्राम चांदी का रुपया चलाया गया। साथ ही शेरशाह सूरी द्वारा तांबे और सोने के सिक्के भी चलाए गए। इन सोने के सिक्कों को मोहर कहा जाता था।

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