सिनेमा हॉल के अंदर चाहे जितना महंगा खाने का सामान मिले सुप्रीम कोर्ट को कोई दिक्कत नहीं
सिनेमाहॉल के अंदर महंगे खाने के सामान को सस्ता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कुछ नहीं कर सकता
SC on Cinema hall Expensive Food: सिनेमाहॉल में समोसा 20 रुपए का मिले या 200 रुपए का, पॉपकॉर्न 50 रुपए में मिले या 500 में सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। ग्राहक चाहे तो महंगा खाना खरीदे और न चाहे तो न खरीदे मगर थिएटर के अंदर बाहर का सामान भी नहीं ले जाया जा सकता।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है जिसमे मल्टीप्लेक्स के अंदर लोगों को खुद का स्नैक्स ले जाने की अनुमति दी गई थी. कोर्ट थिएटर मालिकों और मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से हाईकोर्ट के 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका के एक बैच पर सुनवाई कर रहा था।
जम्मू-कश्मीर कोर्ट ने कहा था कि दर्शक बाहर से खाने का सामान लाकर थिएटर के अंदर ले जा सकते हैं. और इसका करने पर संचालक उन्हें रोक नहीं सकता है. यही कोई सिनेमाहॉल संचालक इस नियम को नहीं मानता है तो उसका लाइसेंस कैंसिल कर दिया जाएगा। मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को पलट दिया है
सिनेमाहॉल प्राइवेट प्रॉपर्टी है
कोर्ट ने कहा कि सिनेमाहॉल एक निजी संपत्ति है जहां जाने वाले लोगों को संचालक के बनाए नियमों और खाने के निर्धारित दरों को मानना होगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि- सिनेमा हॉल प्राइवेट प्रॉपर्टी है और वह इस तरह के नियम-शर्तें लागू कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई दर्शक सिनेमा हॉल में प्रवेश करता है, तो उसे सिनेमा हॉल के मालिक के नियमों का पालन करना होगा। मल्टीप्लेक्स में खाना बेचना कॉमर्शियल मामला है।
CJI ने कहा, 'सिनेमा देखने वालों के पास इन आइटम को न खरीदने का विकल्प है। कोर्ट ने ये भी दोहराया कि सिनेमाघरों को बिना किसी शुल्क के पेयजल उपलब्ध कराना जारी रखना होगा। सिनेमा हॉल मालिक हॉल के अंदर खाने-पीने की चीजों की बिक्री के नियम तय करने के लिए पूरी तरह हकदार हैं. लेकिन सिनेमाहॉल में संचालकों को पानी की व्यवस्था फ्री में करनी पड़ेगी