नितिन गडकरी का मास्टर प्लान: दो साल बाद बेहद सस्ते हो जाएंगे इलेक्ट्रिक वाहन

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि 2 साल बाद इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेट्रोल-डीज़ल वाहनों की कीमत में बिकने लगेगीं

Update: 2021-11-09 09:32 GMT

परिवहन मंत्री  नितिन गडकरी वाकई एक दूरदर्शी नेता है देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के चलन और ग्रीन फ्यूल को बढ़वा देने की पहल नितिन गडकरी ने ही की है। जहाँ जनता पेट्रोल और डीज़ल के दामों के आगे हाथ जोड़ रही है वहीँ नितिन गडकरी कहते हैं एक दिन पेट्रोल-डीज़ल का इस्तेमाल बंद हो जाएगा और गाड़ियां इलेक्ट्रिसिटी और ग्रीन हाइड्रोजन से चलेंगी। एक बार फिर से नितिन गडकरी ने लोगों को रहत देने वाला दिलासा दिया है उन्होंने कहा है कि देश में अगले दो साल के अंदर इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमत इतनी सस्ती हो जाएगी के ऐसी गाड़ियां पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले वाहनों की कीमत में बिकने लगेगीं। नितिन गडकरी ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है, आइये जानते हैं क्या है उनका मास्टर प्लान। 

नितिन गडकरी ने सस्टेनेबिलिटी फाउंडेशन, डेनमार्क की ओर से कराए एक वेबिनार में कहा कि इलेक्टिक व्हीकल को चलाने की लागत पेट्रोल वाहनों की तुलना में कम है इसी लिए बहुत ही जल्द इन्हे बड़े लेवल पर अपनाया जाएगा। इससे इनकी कीमत भी काफी कम हो जाएगी। गडकरी ने यह दिलासा दिलाया कि अगले 2 साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियां और पेट्रोल से चलने वाली कार की कीमत एक ही होगी। 

पेट्रोल वाहनों पर 48% और ई-व्हीकल पर  सिर्फ 5% GST 

गडकरी ने कहा है कि पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों पर GST सिर्फ 5% है जबकि फॉसिल फ्यूल पर चलने वाली गाड़ियों पर 48% GST लागू होता है। मौजूदा वक़्त में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में इस्तेमाल होने वाला लिथियम महंगा है जिसके कारण गाड़ियां भी महंगी बिकती हैं। भविष्य में लिथियम के ज़्यादा प्रोडक्शन से कीमत में कमी आएगी और इलेक्टिक वाहन की कीमत में भी गिरावट देखने को मिलेगी। 

ये है मास्टरप्लान 

नितिन गडकरी का कहना है कि लिथियम बैटरी की कीमत कम करने की दिशा में ही काम चल रहा है. लिथियम की कुल ज़रूरत का 81% प्रोडक्शन लोकल लेवल पर हो रहा है। सस्ती बैटरी कैसे उपलब्ध हो इसके लिए रिसर्च चल रही है। हमारा लक्ष्य है कि साल 2030 तक देश की 30% प्राइवेट कार, 70% कमर्शियल, और 40% बसें इलेक्ट्रिक हो जाएं। 

चार्जिंग पॉइंट पर भी हो रहा काम 

सरकार का लक्ष्य है कि भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बनाना है। बजाज और हीरो जैसी कंपनियों द्वारा बनाई गई ई-बाइक का 50% निर्यात किया जाता है। अगले दो साल में हज़ारों चार्जिंग पॉइंट बनाए जाएंगे।सडक के साथ बाज़ारों में 350 चार्जिंग पॉइंट लगाने की शुरुआत हो चुकी है। पेट्रोल पंप  के कैंपस में भी ई-वाहन चार्जिंग की फेसिलिटी लगाने की मंजूरी दी गई है। 

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