मुख्तार अंसारी को दूसरी बार उम्रकैद: फर्जी शस्त्र लाइसेंस का मामला, बाहुबली मुख्तार अंसारी दोषी करार

बाहुबली और माफिया मुख्तार अंसारी को दूसरी बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इसके पहले अवधेश राय हत्याकांड में अंसारी को आजीवन कारावास की सजा हुई थी।

Update: 2024-03-13 11:47 GMT

मुख्तार अंसारी को दूसरी बार उम्रकैद: फर्जी तरीके से डबल बैरल बंदूक का लाइसेंस लेने के मामले में बाहुबली और माफिया मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। साथ ही कोर्ट ने दो लाख दो हजार रुपए का अर्थदण्ड भी अधिरोपित किया है। यह दूसरी बार है जब मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई हो। इसके पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के भाई अवधेश राय हत्याकांड के मामले में पूर्व विधायक अंसारी को उम्रकैद की सजा हुई थी।

एमपी-एमएलए कोर्ट (विशेष न्यायाधीश) अवनीश गौतम की अदालत ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को आईपीसी की धारा 428, 467, 468, 120बी एवं आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत दोषी पाया। इस दौरान बांदा जेल में कारावास की सजा काट रहे मुख्तार अंसारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया था। पिछले डेढ़ साल में मुख्तार को आठवें मामले में सजा सुनाई गई है। 

चार धाराओं में अलग-अलग सजा

अवनीश गौतम (विशेष न्यायाधीश) एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को चार धाराओं में अलग-अलग सजाएं सुनाई हैं।

  1. धारा 467 में आजीवन कारावास और एक लाख का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना नहीं देने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 
  2. अदालत ने धारा 420 में 7 साल और 50 हजार का जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना नहीं अदा करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। 
  3. धारा 468 में 7 साल और 50 हजार का जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना नहीं अदा करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
  4. धारा 30 आयुध अधिनियम में 6 माह की सजा और दो हजार रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया गया है। जुर्माना नहीं भरने पर एक हफ्ते की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 

अदालत ने फैसले में कहा है कि सभी सजाएँ साथ-साथ चलेगी। साथ ही जेल में पहले से बिताए गए समय को सजा में समायोजित भी किया जाएगा। 

37 साल पुराना मामला 

मामला 37 साल पुराना फर्जी शस्त्र लाइसेंस का है। मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को डबल बैरल बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र दिया था। शस्त्र लाइसेंस तत्कालीन डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से सस्तुति पत्र प्रस्तुत कर लिया गया था। 1990 को सीबीसीआईडी ने फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत 5 लोगों को नामजद और कुछ अज्ञात के खिलाफ मुकदमा पंजीबद्ध कराया था।

जांच के बाद आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर की मौत हो गई। इस वजह से उनके विरुद्ध वाद समाप्त कर दिया गया था। 

अभियोजन ने प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत 10 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। पिछली कई तिथियों पर सुनवाई के दौरान आरोपी के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने लिखित बहस के साथ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग भी कोर्ट में दाखिल की थी। अभियोजन की ओर से भी रूलिंग पेश की गई थी।

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