एमपी में अब चंद मिनटों में हो सकेगी दवाओं व फोरेंसिक सैंपलों की जांच

एमपी में अब दवाओं व फोरेंसिक सैंपलों की जांच चंद मिनटों में ही की जा सकेगी। यह जांच रमन फोरेंसिक स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए की जाएगी।

Update: 2023-02-15 08:00 GMT

एमपी में अब दवाओं व फोरेंसिक सैंपलों की जांच चंद मिनटों में ही की जा सकेगी। यह जांच रमन फोरेंसिक स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए की जाएगी। जिसे राजधानी भोपाल के सीएसआईआर एम्प्री (एडवांस मटेरियल एण्ड प्रोसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने तैयार किया है। यह देश का पहला स्वदेशी स्पेक्ट्रोमीटर बताया गया है। जिसका रिजल्ट भी शत-प्रतिशत एक्यूरेसी वाला रहता है। अब तक स्पेक्ट्रोमीटर को विभिन्न देशों से खरीदा जाता रहा है।

तीन बड़े संस्थानों में हो सकेगी जांच

दवाओं, फोरेंसिक सैंपल, ब्लड कपड़े सहित अन्य मटेरियल की जांच चंद मिनटों में करने के लिए देश के तीन बड़े संस्थानों द्वारा स्पेक्ट्रोमीटर ले भी लिया गया है। जिसमें मैनिट भोपाल, आईसर पुणे, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ केमिकल बायोलाजी कोलकाता शामिल हैं। बताया गया है कि यह ऐसे संस्थान हैं जहां रिसर्च में एक्यूरेसी का पूरा ध्यान रखा जाता है। इस स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए किसी वस्तु की शुद्धता के साथ ही उसके गुणवत्ता की भी जांच की जा सकेगी। इसको भारतीय जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है।

शत-प्रतिशत रहती है एक्यूरेसी

अब तक स्पेक्ट्रोमीटर को विभिन्न देशों से मंगाया जाता रहा है जिसमें यूएस, यूके, जापान आदि शामिल हैं। बाहरी देशों से मंगाए जाने के कारण इसमें गड़बड़ी आने पर इसमें सुधार करने के लिए इंजीनियर्स बड़ी मुश्किल से मिल पाते थे। किंतु अब स्वदेशी स्पेक्ट्रोमीटर तैयार हो जाने से काफी सहूलियत होगी। यह शत-प्रतिशत एक्यूरेसी भी देती है। इसमें गोला-बारूद में भी किन सामग्री को शामिल किया गया है इसकी भी जांच की जा सकेगी। इसके साथ ही स्पेक्ट्रोमीटर में नई एप्लीकेशन भी जोड़ी जा सकती है।

स्पेक्ट्रोमीटर की 3 करोड़ तक है कीमत

एम्प्री की इस स्वदेशी मशीन को देश के आईआईटी सहित अन्य बड़े संस्थानों की वैज्ञानिकों की कमेटी द्वारा अप्रूव किया गया है। इंटरनेशनल जर्नल में भी इसे बेंच मार्क के रूप में शामिल किया गया है। स्पेक्ट्रोमीटर को तैयार करने वाली टीम में शामिल डाॅ. मनोज कुमार गुप्ता की मानें तो यह महान वैज्ञानिक सीवी रमन के स्क्रेटिंग आफ लाइट पर आधारित है। इसके दो माडल हैं पहला सीटीआर 150 और सीटीआर 300 दूसरा माडल है। जहां पर बड़े रिसर्च वर्क होते हैं वहां सीटीआर 300 माडल का उपयोग किया जाता है जबकि शिक्षण संस्थानों में छात्रों के लिए सीटीआर 150 का उपयोग होता है। इस स्पेक्ट्रोमीटर की कीमत 70 लाख से 3 करोड़ रुपए तक है।

इनका कहना है

इस संबंध में सीएसआईआर एम्प्री के डायरेक्टर डाॅ. अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस स्पेक्ट्रोमीटर को देश के तीन बड़े संस्थानों द्वारा लिया गया है। इससे सटीक रिजल्ट भी मिलता है। जिसके जरिए मटेरियल के स्ट्रक्चर, उसमें मौजूद मालिक्यूल के रिजल्ट तुरंत सामने आ जाते हैं। स्पेक्ट्रोमीटर को पीपीपी मोड पर तैयार किया गया है।

Tags:    

Similar News