भारतीय बच्चों के खून में सीसे का जहर सबसे ज्यादा घुल रहा है, पढ़िए पूरी खबर
दिल्ली: यूनिसेफ़ और प्योरअर्थ नाम के एक संगठन द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में हर तीन बच्चो के खून में से एक लेड पॉइज़निंग का शिकार है जिसके कारण उसकी सेहत को गंभीर नुक़सान पहुंच सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 80 करोड़ बच्चे लेड पॉइज़निंग से प्रभावित हैं और इनमें से अधिकांश गरीब और कम आय वाल देशों में हैं. इतनी बड़े पैमाने पर लेड के असर को पहले माना नहीं गया था.इतनी बड़ी संख्या का आधा हिस्सा अकेले दक्षिण एशिया में हैं जबकि भारत में सीसा से 27.5 करोड़ बच्चे प्रभावित हैं. साल 2009 में चार साल के सरबजीत सिंह को लगातार उल्टियां हो रही थीं. उनके पिता मनजीत सिंह को समझ नहीं आ रहा था कि उनके बेटे की उल्टियां रुक क्यों नहीं रहीं.
उत्तर प्रदेश में रहने वाले मनजीत सिंह अपने बेटे को लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे. शुरूआती जांच में डॉक्टर ने उनसे कहा कि सरबजीत के अनीमिया है यानी ख़ून की कमी है. हालांकि इसका कारण डॉक्टर नहीं बता पाए.
अगले कुछ महीनों तक सरबजीत सिंह की तबीयत में कुछ अधिक सुधार नहीं हुआ, उसे बार-बार उल्टियां होती रहीं. जब सरबजीत के ख़ून की जांच हुई तो पता चला कि उसके ख़ून में सीसा की मात्रा जितनी होनी चाहिए उससे चालीस फीसदी अधिक थी.
सीसा के जोखिम के संबंध में हुए वैश्विक शोध के अनुसार सरबजीत दुनिया के उन 80 करोड़ बच्चों में से एक है जो घातक सीसा के संपर्क में आया है और जिसके कारण उसके स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुंची है.इस रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉशिंगटन के किए आकलन ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिज़ीज़ेज़ और इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ एंड इवेल्युएशन के आंकड़ों के विस्तार से विश्लेषण किया गया है.लेड पॉइज़निंग का असर बच्चों के मस्तिष्क, उनके दिमाग़, दिन, फेफड़ों और गुर्दे पर होता है. रिपोर्ट में कहा गया है, "लेड एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन है यानी दिमाग़ की नसों को पर असर करने वाला ज़हर है. कम एक्सपोज़र के मामलों में बच्चों में बुद्धिमत्ता की कमी यानी कम आईक्यू स्कोर, कम ध्यान देना और जीवन में आगे चल कर हिंसक व्यवहार और यहां तक कि आपराधिक व्यवहार का कारण भी बन सकता है."अजन्मे बच्चों और 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सीसा के कारण अधिक जोखिम हो सकता है. उनमें इस कारण हमेशा के लिए मानसिक और कॉग्निटिव समस्याएं यानी समझ और बुद्धिमत्ता की कमी और पर्मानेंट शारीरिक हानि भी हो सकती है. लेड पॉइज़निंग के कारण कई बच्चों में मौत का भी ख़तरा हो सकता है."भारत के बाद जो देश बच्चों में लेड पॉइज़निंग से सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं वो हैं, अफ्रीका और नाइजीरिया. वहीं इस सूची में तीसरे और चौथे स्थान पर पाकिस्तान और बांग्लादेश का नाम है.