अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केजरीवाल ने 90 दिनों की कैद झेली है, वह एक निर्वाचित नेता हैं; मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर

शराब नीति घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने शुक्रवार को केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी है।

Update: 2024-07-12 05:27 GMT

Arvind Kejriwal

शराब नीति घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने शुक्रवार को केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है। 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा- अरविंद केजरीवाल एक निर्वाचित नेता हैं, उन्होने 90 दिनों की कैद झेली है। हम निर्देशित करते हैं कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।

इसके पहले केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद जांच एजेंसी की हिरासत में भेजे जाने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किया था। 9 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार दिया था। इसी फैसले के खिलाफ केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था। 

हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं था क्योंकि केजरीवाल कई समन भेजे जाने के बाद भी पूछताछ के लिए ED ऑफिस नहीं आए। इसके बाद ED के पास उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

इधर, शराब नीति केस में ईडी ने मंगलवार 9 जुलाई को दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट में 208 पन्नों की सातवीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की। इस चार्जशीट में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को केस का सरगना और साजिशकर्ता बताया गया। कहा गया कि स्कैम की सारी रकम आम आदमी पार्टी पर खर्च किया गया है। 

ED ने चार्जशीट में कहा कि केजरीवाल ने 2022 में हुए गोवा चुनाव में AAP के चुनाव अभियान में यह पैसा खर्च किया। दावा किया गया है कि केजरीवाल ने शराब बेचने के कॉन्ट्रेक्ट के लिए साउथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 45 करोड़ रुपए गोवा चुनाव पर खर्च किए गए थे। ED ने जोर देकर कहा कि केजरीवाल ने दावा किया कि AAP के पूर्व मीडिया प्रभारी और इस केस के सह-आरोपी विजय नायर ने उनके नहीं, बल्कि मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम किया था। इसमें यह भी दावा किया गया है कि CM ने कहा कि दुर्गेश पाठक गोवा के राज्य प्रभारी थे और फंड का प्रबंधन करते थे और फंड से संबंधित निर्णयों में उनकी खुद कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता से रिश्वत नहीं मिली थी।

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