History Of Muslim League: मुस्लिम लीग की कहानी, इस पार्टी को राहुल गांधी सेक्युलर बता रहे

मुस्लिम लीग का इतिहास: अमेरिका पहुंचे राहुल गांधी ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी बताया है

Update: 2023-06-02 07:18 GMT

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का इतिहास: संसद द्वारा अयोग्य घोषित होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहली विदेशी ट्रिप में गए हैं. Rahul Gandhi 7 दिन के लिए US गए हैं. जहां वो पीएम मोदी, बीजेपी और हिन्दुओं को अपना निशाना बना रहे हैं. राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा से बीजेपी को कोई खास इंटरेस्ट नहीं था लेकिन उनके एक बयान ने देश में बवाल मचा दिया है. राहुल गांधी ने केरल की मुस्लिम लीग पार्टी को सेक्युलर बता दिया है. 

जिस पार्टी का नाम ही किसी मजहब के नाम पर रखा गया है उसे राहुल गांधी ने सेक्युलर कह दिया है. उधर बीजेपी ने निशाना साधते हुए कहा है कि राहुल गांधी उस मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी कह रहे हैं जिसे जिन्ना ने भारत-पाकिस्तान का बंटवारा करने के लिए बनाया था. अब इधर डबल कन्फ्यूजन हो गया है. ना तो राहुल गांधी को केरल की डियन यूनियन मुस्लिम लीग के बारे में कुछ पता है और ना ही बीजेपी को जिन्ना वाली मुस्लिम लीग के बारे में कुछ ज्ञान है. क्योंकी दोनों ने मुस्लिम लीग को लेकर जो स्टेटमेंट दिए हैं वो पूरी तरह  से गलत हैं. 

राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग को बताया सेक्युलर पार्टी  

राहुल गांधी गुरुवार को वाशिंगटन डीसी में नेशनल प्रेस क्लब गए थे. जहां उनसे केरल की सांप्रदायिक राजनीतिक पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के साथ कांग्रेस के गठबंधन को लेकर सवाल किया। इसपर राहुल गांधी ने कहा- ‘मुस्लिम लीग पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है. इसमें कुछ भी नॉन सेक्युलर नहीं है.’

जिस पार्टी का नाम मुस्लिम लीग है उसे राहुल गांधी सेक्युलर कह रहे हैं. वो भी अमेरिका जाकर 

बीजेपी क्या बोली? 

राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने कहा- ''जिन्ना की मुस्लिम लीग, जो पार्टी धार्मिक आधार पर भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थी, वह राहुल के मुताबिक सेक्युलर पार्टी है. वायनाड में स्वीकार्यता बनाए रखने के लिए यह उनकी मजबूरी है.'' 

अब यहां दोनों ही गलत हैं. ना तो मुस्लिम लीग कोई धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और ना ही ये वो पार्टी  है जिसे जिन्ना ने बनाया था. असली कहानी अब पढ़िए 

ऑल इंडिया मुस्लिम लीग पार्टी का इतिहास 

30 दिसंबर 1906 को बांग्लादेश में 3000 मुस्लिम अलगावादियों की मौजूदगी में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग  पार्टी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. यह भारत में मुसलमानों के लिए बनी पहली राजनीतिक पार्टी थी. AIML की स्थापना ख्वाजा सलीमुल्लाह, विकार उल-मुल्क, सैयद आमिर अली, सैयद नबीउल्लाह खान बहादुर गुलाम और मुस्तफा चौधरी ने की थी 

ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के पहले अध्यक्ष आगा खान थे जिसका हेडक्वाटर अलीगढ में था. लंदन  में भी मुस्लिम लीग की एक ब्रांच थी. जिसके अध्यक्ष सैयद आमिर अली थे. 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद से ही मुस्लिमों ने मुसलमानों ने लिए अलग देश की मांग शुरू कर दी थी और इसी  लिए इस पार्टी को बनाया गया था. 

मोहम्मद अली जिन्ना ने 1913 में मुस्लिम लीग पार्टी को ज्वाइन किया था. वह कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों के एक्टिव मेंबर थे लेकिन 1920 में नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने INC से इस्तीफा दे दिया था. 

1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद इकबाल ने आधिकारिक रूप से मुसलमानों के लिए अलग मुल्क बनाने का प्रस्ताव पेश किया था. उन्होंने कहा था- पंजाब, उत्तर पश्चिम प्रान्त, सिंध और बलूचिस्तान को मुस्लिमों का एक राज्य बनते देखना चाहता हूं. 

1940 में जिन्नाह ने मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में कहा था- हिन्दू और मुसलमान एक साथ एक मुल्क  में नहीं रह सकते। लेकिन इसके बाद मुस्लिम लीग के एक गुट ने इसका विरोध किया था और इस गुट ने ऑल इंडिया जम्हूर मुस्लिम लीग नाम की पार्टी बनाई थी जो कांग्रेस में शामिल हो गई थी. 

मुस्लिम लीग की मांग पर देश का बंटवारा हुआ था. इसी मुस्लिम लीग के लोगों ने बंगाल में हिन्दुओं का नरसंहार किया था. बंटवारे के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग को भंग कर दिया गया था. 

केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 

जिन्ना वाली ऑल इंडिया मुस्लिम लीग आजादी के बाद भंग हो गई. लेकिन मुस्लिम लीग के कई लोग पाकिस्तान नहीं जा पाए और उन्होंने फिर से 10 मार्च 1948 को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की स्थापना की. 

IUML भले खुद को अब सेक्युलर पार्टी कहती है लेकिन इस पार्टी में ऐसा कुछ  भी नहीं है जो सेक्युलर हो. जब पार्टी का नाम ही मुस्लिम है तो काम सेक्युलर कैसे हो सकता है. राहुल गांधी इसी पार्टी को सेक्युलर कह रहे हैं.




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