कट्टरपंथियों के निशाने पर हिंदू: बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हमला, 200 से अधिक उपद्रवियों ने की तोड़फोड़ और लूटपाट

बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर में हमला: होली की पूर्व संध्या बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ और लूटपाट की है.

Update: 2022-03-18 12:27 GMT

Attack on Bangladesh's ISKCON temple: बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदू कट्टरपंथियों के निशाने में आ गए हैं. डोल यात्रा और होली समारोह की पूर्व संध्या बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर में हमला किया गया है. इस्कॉन राधाकांता मंदिर में दो सैकड़ा से अधिक लोगों ने घुसकर तोड़फोड़ करते हुए लूटपाट की है. इसके बाद इस्कॉन इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट राधारमण दास ने संयुक्त राष्ट्र पर ट्वीट कर कहा है कि 'इस पर यूएन क्यों चुप है?'.

यह घटना गुरुवार को बांग्लादेश स्थित ढाका के इस्कॉन राधाकांता मंदिर में हुई है. डोल यात्रा और होली समारोह की पूर्व संध्या दो सैकड़ा से अधिक उपद्रियों ने हिंदू मंदिर को निशाना बनाया है. मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ करने के साथ लूटपाट की घटना को अंजाम दिया है. इस घटना में तीन लोगों के घायल होने की खबर है. हमलावरों की भीड़ की अगुआई हाजी शफीउल्लाह कर रहा था.

इस्कॉन प्रमुख ने UN से पूछा-अब चुप क्यों हो?

इस्कॉन इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट राधारमण दास ने ट्विटर पर लिखा कि डोल यात्रा और होली समारोह की पूर्व संध्या पर यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. उन्होंने लिखा, "हमें आश्चर्य है कि संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा पर चुप्पी साधे हुए है. इतने सारे हिंदू अल्पसंख्यकों ने अपनी जान, संपत्ति खो दी है, लेकिन अफसोस है कि संयुक्त राष्ट्र चुप है.




द कश्मीर फाइल्स ने हिन्दुओं को जगाया है, फिर से मत सोना

इस्कॉन इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट राधारमण दास ने लिखा कि कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए 15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया. आश्चर्य है कि वही संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा के प्रति मौन है. उन्होंने ये भी लिखा कि द कश्मीर फाइल्स ने हिन्दुओं को जगाया है, फिर से मत सोना.

पिछले साल भी हुआ था हमला

पिछले साल भी दुर्गा पूजा के दौरान चांदपुर जिले में भीड़ ने हिंदू मंदिर पर हमला कर दिया था. इस दौरान 3 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से हिंदुओं को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी.

बांग्लादेश में पहले भी हो चुके हैं हिंदू मंदिरों पर हमले

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले का पुराना इतिहास है. भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले ही 29 अक्टूबर 1990 को बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी राजनीतिक संगठन ने बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की अफवाह फैला दी थी जिसके चलते 30 अक्टूबर को हिंसा भड़क गई थी, जो 2 नवंबर 1990 तक जारी रही थी. इस हिंसा में कई हिंदू मारे गए थे.

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