Govt Employees Retirement Age Update 2022: करोड़ो कर्मचारियों के रिटायरमेंट ऐज को लेकर बड़ा फैसला
Govt Employees Retirement Age Update 2022: कुछ साल पहले से कर्मचारियों (Employees) के रिटायरमेंट (Retirement) की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की मांग की थी.
Govt Employees Retirement Age Update 2022: दिव्यांग कर्मचारियों की रिटायरमेंट (Retirement Of Disabled Employees) की आयु बढ़ाने के मामले में दायर की गई जनहित याचिका खारिज हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) द्वारा कर्मचारियों (Employees) के रिटायरमेंट (Retirement) की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की मांग की थी। जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। एक ओर जहां याचिकाकर्ता द्वारा पंजाब और हरियाणा राज्य का उदाहरण देते हुए आयु बढ़ाने की मांग की थी। वही हाईकोर्ट ने कानूनी तर्क देते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। आइए जाने क्या है पूरा मामला।
क्या लगाई गई थी याचिका
राज्य सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में दिव्यांग कर्मचारियों (Handicapped Employees) के रिटायरमेंट की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की मांग की थी। रामकली सामाजिक उत्थान इवान जन कल्याण समिति द्वारा याचिका में बताया गया था कि पंजाब तथा हरियाणा राज्य में कार्यरत दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की आयु 62 वर्ष निर्धारित की गई है। लेकिन उत्तर प्रदेश में इन कर्मचारियों के रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष है।
साथ ही याचिका में कहा गया कि वर्ष 2016 में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम में कहा गया है कि दिव्यांग व्यक्तियों के सार्वजनिक रोजगार या अन्य किसी मामले में सामान्य व्यक्ति से भेदभाव न किया जाए। ऐसे में आवश्यक है कि दिव्यांग कर्मचारियों के रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने का निर्देश जारी किया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं हाईकोर्ट के जस्टिस
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस रजनीश कुमार की पीठ ने इस पूरे मामले को सुनने के बाद अपना निर्णय दिया है। दोनों जस्टिस का कहना है कि अधिनियम 2016 अलग-अलग व्यक्तियों के सभी प्रकार के भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह कानून बनाया गया है। लेकिन याचिकाकर्ता यूपी राज्य में अलग-अलग सरकारी कर्मचारियों के साथ भेदभाव की ओर इशारा कर रहा है।
साथ ही कोर्ट का कहना है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार संदर्भित किया है की सभी कानून सभी लोगों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। साथ ही अनुच्छेद 14 वर्गीकरण की अनुमति देता है। लेकिन इसके लिए उचित आधार होना चाहिए।
साथ ही न्यायालय का कहना था कि भारत के अनुच्छेद 14 और 16 या फिर दिव्यांग व्यक्ति के अधिकार अधिनियम 2016 मे चला दोनिहित अधिकार शामिल हैं तब तक पंजाब और हरियाणा राज्य के दिव्यांग कर्मचारियों के मामले को उत्तर प्रदेश में लागू नहीं किया जा सकता।
साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि दिव्यांग कर्मचारी के मामले में पंजाब और हरियाणा राज्य की सेवा करने वाली परिभाषित वर्ग से अलग वर्ग बनाते हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश राज्य में अलग-अलग दिव्यांग कर्मचारियों के साथ विभेदक व्यवहार की दलील मान्य नहीं है। जिससे यह याचिका खारिज की गई।