5 साल तक मिलता रहेगा मुफ्त राशन: देश भर में 81 करोड़ को होगा फायदा, खर्च होंगे 11.80 लाख करोड़ रुपए

मोदी सरकार की कैबिनेट ने 16वें वित्त आयोग के लिए संदर्भ शर्तों को भी मंजूरी दे दी। अगले 5 साल तक फ्री राशन की सुविधा मिलती रहेगी।

Update: 2023-11-30 06:50 GMT

PMGKAY

नई दिल्ली. सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में योजना को एक जनवरी, 2024 से पांच साल के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग में सभा में योजना को पांच साल बढ़ाने की घोषणा की थी। योजना कोरोना काल में गरीबों की मदद के लिए शुरू की गई थी। केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को बताया कि मुफ्त अनाज योजना (Free Ration Scheme) से 81 करोड़ लोगों को फायदा होगा।

16वें वित्त आयोग की रिपोर्ट

2025 तक कैबिनेट ने 16वें वित्त आयोग के लिए संदर्भ शर्तों को भी मंजूरी दे दी। ठाकुर ने बताया कि आयोग अक्टूबर 2025 तक रिपोर्ट देगा। इसकी सिफारिशें अप्रेल, 2026 से 5 साल तक वैध रहेंगी। यह राज्यों के बीच करों के वितरण का निर्धारण करने वाले सिद्धांत तय करता है।

क्या है प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (What is PMGKAY)?

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) एक सरकारी योजना है जो गरीब परिवारों को मुफ्त राशन प्रदान करती है। यह योजना 30 जून 2020 को शुरू की गई थी और इसे पहले 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ाया गया था। इसके बाद, इसे 31 दिसंबर 2021, 31 दिसंबर 2022 और 31 दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ाया गया था। अब, इसे 31 दिसंबर 2028 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

इस योजना के तहत, लाभार्थियों को हर महीने 5 किलो अनाज मुफ्त मिलता है। इसमें 4 किलोग्राम गेहूं और 1 किलोग्राम चावल शामिल हैं। लाभार्थियों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत पंजीकृत बीपीएल परिवार शामिल हैं। इसके अलावा, अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत पंजीकृत परिवार भी इस योजना के लाभार्थी हैं।

PMGKAY का उद्देश्य गरीब परिवारों को भोजन सुरक्षा प्रदान करना है। यह योजना विशेष रूप से COVID-19 महामारी के दौरान सहायक साबित हुई। इस योजना ने लाखों गरीब परिवारों को भोजन की कमी से बचाया। PMGKAY पर सरकार का खर्च काफी अधिक है। 2023-24 के बजट में, इस योजना पर 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है। यह योजना भारत सरकार की सबसे बड़ी खाद्य सब्सिडी योजनाओं में से एक है।

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