देवनारायण मंदिर का इतिहास: 45 साल से बंद है राजस्थान का देवनाराण मंदिर? मुसलमानों ने किया था चौका देने वाला दावा

Devnarayan Temple Rajasthan: बीते 45 सालों में मंदिर का दरजवा नहीं खुला न भगवान की पूजा-अर्चना हुई

Update: 2023-01-28 07:33 GMT

Devnarayan Temple Rajasthan: हिंदुस्तान में हिन्दू मंदिरों पर विवाद और पाबंदी कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन यह चौकाने वाली बात जरूर है कि इस देश में जहां हिन्दू बहुसंख्यक हैं वहां उन्हें उनके ही देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने की इजाजत नहीं मिलती है। 

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के भीलवाड़ा में मौजूद देवनारायण मंदिर की जो पिछले 45 सालों से बंद है, बहुतायत लोगों को इसके बारे में मालूम ही नहीं होगा लेकिन आज देवनारायण मंदिर का पूरा इतिहास आपके सामने पेश हो रहा है। अब भीलवाड़ा के लोग राजस्थान सरकार और प्रशासन ने दोबारा मंदिर के पट को खोलने और सालों से बिना पूजा-अर्चना के विराजी भगवान की प्रतिमा की आराधना करने की ,मांग उठाई है। मंदिर खुलवाने के लिए बीते दिन मांडल कस्बे के लोगों ने 17 किलोमीटर लम्बा मार्च निकालकर सरकार और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। 

लोग अब इस अन्याय के खिलाफ आक्रोशित हो रहे हैं, 11 मार्च को मांडल में गोपाल सिंह गुर्जर बस्सी 45 साल से बंद पड़े देवनारायण मंदिर के ताले भी तोड़ दिए गए थे और प्रशासन को खुली चुनौती दी गई थी. इसके बाद गोपाल सिंह गुर्जर के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने के साथ अदालत की अवमानना करने के आरोप लगा दिए गए हैं 

क्यों बंद है देवनारायण मंदिर 

साल 1977 से देवनारायण मंदिर की जमीन का मामला कोर्ट में विचाराधीन है ठीक वैसे ही जैसे अयोध्या की राम जन्म भूमि और मथुरा की कृष्ण जन्म भूमि। इस देवनारायण मंदिर का केस जब कोर्ट में गया था तो न्यायालय ने मंदिर के दरवाजे में ताला जड़ने के बाद चाबी थाने में जमा करा दी थी. 

देवनारायण मंदिर में भगवान देवनारायण की प्रतिमा है, वह राजस्थान के लोक देवता माने जाते हैं और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। वह राज्य के शासक और एक महान योद्धा हुआ करते थे. देवनारायण ने 8 वीं शताब्दी में अजमेर में अपना शासन किया था और देश में अरब घुसपैठ का प्रतिरोध किया था. 

भगवान देवनयारण की गुर्जर समाज पूजा करता है, क्योंकि उन्होंने अपने पराक्रम से अत्याचारी विदेशी शासकों से खूब लड़ाइयां लड़ी थीं और उन्हें पराजित किया था. देवनारायण गोवंश के रक्षक थे, वह हर दिन उठने के बाद गौ दर्शन करते थे. उनके पास 98000 गोवंश थे. 

देवनारायण मंदिर का इतिहास 

ऐसा कहा जाता है कि जिस स्थान में देवनारायण का ऐतिहासिक मंदिर है उस जमीन का कुछ भूखंड मुसलमानों का है, इसका दावा क्षेत्रीय मुसलमानों द्वारा कोर्ट में किया गया था. अब कोर्ट को चाहिए रहता है सबूत, जो नहीं मिले इसी लिए कोर्ट ने मंदिर में ताला जड़वा दिया और 45 सालों से देवनारायण मंदिर में किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना नहीं हुई. लेकिन हर साल मंदिर परिसर में मेला लगता है। जमीनी विवाद के कारण भगवान विष्णु के अवतार देवनारायण का मंदिर बंद है. 


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