RBI के बाद यहां पुराने कॉइन्‍स का सबसे अधिक कलेक्‍शन, 1818 तक के रखें हैं सिक्‍के, देखिए

RBI के बाद यहां पुराने कॉइन्‍स का सबसे अधिक कलेक्‍शन, 1818 तक के रखें हैं सिक्‍के! After RBI, here is the largest collection of old coins, coins are kept till 1818

Update: 2022-06-17 13:06 GMT

भारतीय रिजर्व बैंक के पास पुराने सिक्कों इतना बड़ा संग्रह है कि इसे खजाना कहा जा सकता है। खुदाई के दौरान मिले गए सिक्कों को आरबीआई में सहेज कर रखा गया है। इसमें चौथी शताब्दी से लेकर वर्ष 1818 पक्के पुराने सिक्के मौजूद है। सिक्कों की बनावट, लिखावट तथा सिक्का बनाने में किए गए धातु के उपयोग के संबंध में जानकारी मिलती है। आज हम पुराने सिक्कों से जुड़ी हुई जानकारी समाचार के माध्यम से दे रहे हैं।

कहां है सिक्कों का संग्रहालय

आरबीआई इन सिक्कों का संग्रह राजस्थान के संग्रहालय में किया है। जानकारी के अनुसार यहां करीब 2.11 लाख की संख्या में 21 ऐतिहासिक अवधियो मे बांटकर गया है। इन सिक्कों के संबंध में बताया जाता है कि संग्रहालय और पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में मिले हैं।

संग्रहालय में मौजूद सिक्के आदिवासी काल के भी है। सबसे अधिक पुराने सिक्के जोधपुर संग्रहालय में रखे हुए हैं। यहां रखें पुराने सिक्कों की संख्या 1.1 लाख के करीब है।

मौर्य काल के सिक्के

जोधपुर संग्रहालय में मौर्यकालीन सोने के सिक्के मौजूद हैं। इनकी संख्या 200 के करीब है। वहीं कई सारे सिक्के अन्य कालों के भी बताए गए हैं। जिनकी ढलाई सोने एवं मिश्रित कांस्य धातु से की गई है। सिक्कों की बनावट अन्य सिक्कों के अपेक्षा अलग दिखाई देती है।

बताया गया है कि पाए गए मौर्य कालीन सिक्के खुदाई के दौरान मिले हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पता चलता है कि इन सिक्कों को जानकीपुरा गांव से वर्ष 2016 और वर्ष 2017 के दौरान खोदकर प्राप्त किया गया।

चौथी सदी के सिक्के

मौर्य काल तथा अन्य काल के पाये गये सिक्के राजस्थान के साथ-साथ अन्य कई जगहों में खोज के दौरान मिले हैं। पता चलता है कि यह केवल भारतीय महादीप के नहीं है। यह अन्य कई वंश काल के सिक्कों के बारे में जानकारी देते हैं। मूलतः पता चलता है कि इन सिक्कों में चोला, चेरा, पांडियन, पल्लव, इंडो ग्रीक, आदिवासी से लेकर मुगल और ब्रिटिश युग के सिक्के मौजूद है।

इतिहास दिखाते हैं सिक्के

किस काल में किन सिक्कों का उपयोग किया गया इस पर इतिहासकार अध्ययन कर रहे हैं। सिक्कों को देखकर उस समय के इतिहास का पता चलता है। एक वंश के राजा के पतन होने के बाद जब उस राज्य पर दूसरे वंशज के राजाओं का अधिपत्य हुआ तो उनके द्वारा अलग तरह के सिक्कों को चलन में लाया गया। हर सिक्का एक अलग युग और कहानी दर्शाता है। सिक्कों पर गाय, बैल, गेहूं और मूर्तियों की आकृति बनी हुई है।

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