एमपी के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के झोले का वजन तय, भारी-भरकम झोले से मिलेगी राहत
MP School News: एमपी के सभी स्कूलों में बच्चों के लिए झोले का वजन सरकार ने तय कर दिए है, जिससे बच्चों को भारी भरकम बैग के बोझ से अब उन्हे राहत मिलेगी.
MP School Latest News In Hindi: प्रदेश के सभी स्कूलों में बच्चों के लिए झोले का वजन (Bag Weight) सरकार ने तय कर दिए है, जिससे बच्चों को भारी भरकम झोले के बोझ से उन्हे अब राहत मिलेगी। दरअसल बच्चों को पाठ्यक्रम के नाम पर किताब, कॉपी, पेटिंग सहित दुनिया भर के बोझ बढ़ते जा रहे है। जिससे बच्चे उठाने में हाफ रहे है। यही वजह है की सरकार ने इस पर लगाम लगाते हुए झोले का वजन तय किया। ऐसे में सरकारी स्कूल हो चाहे प्राइवेट स्कूल उक्त मापदंड से ज्यादा वजन का झोला बच्चों के कंधो पर रखने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे।
इस तरह का है आदेश
जारी आदेश के तहत प्रदेश के समस्त शासकीय, प्राईवेट एवं अनुदान प्राप्त शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थी के झोले का वजन कम करने के पूर्व के आदेश को निरस्त करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दृष्टि से मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, भारत सरकार के परिपत्र कमांक एफ 1-4/2018-15-3 दिनांक 24. 11 2020 द्वारा जारी स्कूल बैग पॉलिसी (School Bag Policy) 2020 के परिपालन में प्रदेश के समस्त शासकीय अशासकीय एवं अनुदान प्राप्त स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के स्कूल बैग के लिए इस तरह के आदेश एवं निर्देश जारी किये जा रहे है।
इस तरह के तय हुए मापदंड
- राज्य शासन द्वारा जो आदेश जारी किया गया है, उसके तहत अधिक पुस्तक विद्यार्थियों के बस्ते में नहीं होना चाहिए। कक्षा 2 तक के छात्रों को कोई भी कार्य नहीं दिया जाए।
- प्रत्येक स्कूल को नोटिस बोर्ड में बस्ते के वजन का चार्ट प्रदर्शित करना होगा। स्कूल डायरी का वजन भी झोले के वजन में ही सम्मिलित किया जाए। शाला प्रबंधन समिति के द्वारा ऐसी समय-सारणी तैयार की जाए जिससे विद्यार्थियों को प्रतिदिन सभी पुस्तक, अभ्यास पुस्तिकाएं, कापियां नहीं लानी पढ़ें।
- शाला प्रशासन, प्रबंधन समिति कक्षा 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए अभ्यास पुस्तिकाओं वर्कबुक एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों को शाला में ही रखने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
- कम्प्यूटर नैतिक शिक्षा एवं सामान्य ज्ञान के लिए कलाएं बिना पुस्तकों के लगाई जाए। स्वास्थ्य शारीरिक शिक्षा, खेल एवं कला की कक्षाएं भी बिना पुस्तकों के लगाई जाए।
कंधो पर आसानी से आ सके झोला
- स्कूल बैग हल्के वजन के हो जो कि दोनों कंधों पर आसानी से फिट हो सके, जबकि विद्यार्थियों को शाला में ट्रॉली बैग लाने की अनुमति नहीं होगी।
- पालकों के साथ संवाद के लिए शिक्षक डिजिटल माध्यम का प्रयोग करें एवं समय-समय पर स्कूल बैग के वजन की चर्चा मीडिया और शाला प्रबंधन समिति के साथ की जाए, जिससे सभी लोग बस्ते के वजन के संबंध में जागरूक हो सके।
- सप्ताह में एक दिन बैग विहीन दिवस होगा। इस दिवस व्यवसायिक कार्यानुभव से संबंधित गतिविधियां कराई जाए।
आधिकारी करेंगे जांच
जिला शिक्षा अधिकारी अपने जिले में शालाओं का चयन कर प्रत्येक तीन माह में स्कूल बैग के वजन की जाँच करेंगे और बस्ते का वजन निर्धारित सीमा में हो यह सुनिश्चित करेंगे।