सीधी का महुआ लड्डू महिलाओं के जीवन में ला रहा मिठास, सुपर फ़ूड के रूप में हुई पहचान

सीधी जिला का महुआ महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर।

Update: 2022-02-25 05:55 GMT

सीधी। एमपी का सीधी जिला जहां जंगलो और पहाड़ों से घिरा हुआ है वही मझौली का जंगल महुआ वागानों के लिए जाना जाता है। यहां मिलने बाला महुआ अब महिलाओं के जीवन में मिठास घोलने का काम रहा है। बताते है कि महुआ के लड्डू को सुपर फु्रड के रूप पहचाना जाने लगा है। इसकी मांग देश-विदेश से अब होने लगी है।

महिलाएं तैयार कर रही महुआ के लड्डू

दरअसल नौढ़िया गांव की महिलाएं महुए के लड्डू बनाकर अब इसे रोजगार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। तो वही महिलाओं का यह प्रयास उनके पंख लगाएगा। महिलाओं के इस नवाचार से जंहा वे स्वयं आत्मनिर्भर बन रही है वही दावा किया जा रहा है कि इससे नशामुक्ति समाज के निर्माण में भी मदद मिलेगी।

शराब पर कंट्रोल

दरअसल आदिवासी क्षेत्रों के रहवासी घर-घर में महुआ से शराब तैयार करते है। माना जा रहा है कि महुए के लड्डू से अच्छा व्यापार मिलेगा तो इससे महिलाओं की इंकम बढ़ेगी वही शराब बनाने से यंहा के लोगो का ध्यान भी हटेगा। इससे बर्बाद होने वाले परिवार सुरक्षित व संस्कारित होंगे। तो वही न सिर्फ महिलाएं बल्कि घर-परिवार में भी आर्थिक सम्मृद्धि आएगी।

होटल और दुकानों में कारोबार

महुए के लड्डू बनाकर नौढ़िया गांव की तकरीबन दो दर्जन महिलाएं अन्य महिलाओं को प्रेरित करती हैं। बताया जाता है कि गांव की महिलाएं मिलकर लड्डू रोजाना बनाती हैं। होटलों और दुकानों में उसे बेचती हैं। हर दिन लड्डू बेचकर रुपए मिलते हैं। एक किलो महुआ से 35 लड्डू बनते हैं। ये महिलाएं 25 से 28 रुपए किलो महुआ खरीदती हैं।

ऐसे बनता है लड्डू

बताते है कि सबसे पहले महुआ को पानी में फुलाया जाता है। इसके बाद उसे सुखाकर घी में तल कर ड्राइफूड, सौंप, इलायची व गुड़ मिलाकर ओखली में कूटा जाता है और फिर इसके लड्डू बनाते हैं। लगातार लड्डू के बढ़ती डिमांड को देखते हुए महिलाओं ने आपस में काम बांट लिया है। कुछ लड्डू बनाने तो कुछ इसकों बेचने का काम कर रही हैं।

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