Sidhi Bus Accident / MPRDC के GM, AGM के बाद रीवा PWD के कार्यपालन यंत्री पर भी गिरी गाज, हटाए गए
SIDHI BUS ACCIDENT / रीवा. सीधी बस हादसे का रीवा में भी साइड इफ़ेक्ट दिखा। MPRDC के GM और AGM के बाद रीवा की खराब सड़क के कारण रीवा PWD के कार्यपालन अभियंता भी नप गए। उन्हें यहां से हटाकर जबलपुर भेज दिया गया है। PWD के कार्यपालन यंत्री नरेंद्र शर्मा के कार्यप्रणाली पर प्रायः ऊँगली उठती रहती थी। रीवा शहर की सड़कें चलने लायक नहीं हैं और न ही निर्माण कार्यों में तेजी लाने में उनके द्वारा कोई दिलचस्पी ली गई थी। यही वजह है कि उन्हें रीवा से हटाकर PWD BRIDGE जबलपुर में पदस्थ कर दिया गया है। रीवा में फिलहाल किसी की भी पदस्थापना नहीं की गया है।
SIDHI BUS ACCIDENT / रीवा. सीधी बस हादसे का रीवा में भी साइड इफ़ेक्ट दिखा। MPRDC के GM और AGM के बाद रीवा की खराब सड़क के कारण रीवा PWD के कार्यपालन अभियंता भी नप गए। उन्हें यहां से हटाकर जबलपुर भेज दिया गया है। PWD के कार्यपालन यंत्री नरेंद्र शर्मा के कार्यप्रणाली पर प्रायः ऊँगली उठती रहती थी। रीवा शहर की सड़कें चलने लायक नहीं हैं और न ही निर्माण कार्यों में तेजी लाने में उनके द्वारा कोई दिलचस्पी ली गई थी। यही वजह है कि उन्हें रीवा से हटाकर PWD BRIDGE जबलपुर में पदस्थ कर दिया गया है। रीवा में फिलहाल किसी की भी पदस्थापना नहीं की गया है।
रीवा में दो सैकड़ा से आधी सड़कों के हाल ख़राब
बता दें रीवा में करीब 200 से अधिक सड़कों की हालत खराब है। वहीं शहरी क्षेत्र में चल रहे सड़कों के निर्माण कार्य भी अधर में लटके हैं। रीवा में तीन साल से सड़कों के निर्माण और मेंटीनेंस का काम नहीं हुआ। चुनाव के समय में कई सड़कों को सुधारने की हरी झंडी भाजपा सरकार ने दी थी। चुनाव बाद सत्ता बदला तो कांग्रेस ने बजट पर ही रोक लगा दी। दो साल तक कोई निर्माण और सुधार कार्य नहीं हुआ।
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कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सत्ता से गई और भाजपा की सरकार आई तो कोरोना ने सारे काम रोक दिए। सरकार के पास बजट का संकट खड़ा हो गया था। लाकडाउन के कारण सारे काम बंद पड़ गए थे। लॉकडाउन में छूट मिली लेकिन सड़कों का निर्माण शुरू नहीं हुआ। अब भी हालात जस के तस बने हुए हैं। PWD के पास बजट ही नहीं है। सड़कों का मेंटीनेंस तो दूर नई बन रही सड़कों का काम भी रुक गया है। रीवा में इस समय दो सौ से अधिक ऐसी सड़कें हैं, जिनकी सेहत खराब है। इन सड़कों पर चलना मुश्किल है।
रीवा शहर की भी सड़कें खस्ताहाल
यही हाल रीवा शहर का भी है। यहां एक भी सड़क दुरुस्त नहीं है। सिर्फ एनएच सिरमौर रीवा मार्ग ही ठीक ठाक है। शेष सब खस्ताहाल हैं। अब ऐसे में यदि रीवा में भी कोई हादसा हो जाए तो इससे इंकार नहीं कर सकते।
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इन सड़कों की हालत खराब
सत्ता परिवर्तन के पहले कई सड़कों के निर्माण की स्वीकृति मिली थी। इन सड़कों के दिन नहीं फिरे। इसमें पहरखा से खेतौतही मार्ग, शिवराजपुर पहुंच मार्ग, कोट से सोनवर्षा पहुंच मार्ग, बेला से बढ़वा मार्ग, अमहा पहुंच मार्ग, छिवला से जोड़ोडी पहुंच मार्ग, सोठा से गेरुआरी मार्ग, खैरा आदिवासी बस्ती मार्ग, खैरा हापर सेकेण्डरी स्कूल पहुंच मार्ग, खैरा से सरई रोड़, रीवा गुढ़ रामनई से पटना मार्ग, मनिकवार से फरेदा हर्दीहा मार्ग, मारौ से तेंदून मार्ग, रौश्रज्ञा से पडऱा मार्ग, तिवनी से पिपरवार मार्ग, पडऱी पहुंच मार्ग, हनुमंता से पैपखरा मार्ग, सुरसा खुर्द हरौन बस्ती पहुंच मार्ग, मऊगंज कटरा मार्ग से सुमेदा कला पहुचं मार्ग आदि सड़कें शामिल हैं।
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यह सड़कें चलने लायक नहीं
सीतापुर बहेरा मार्ग, तिवनी महमूदपुर, मऊगंज बहेरा डाबर, पुरवासर पहरखा, गढ़ी घटैहा ब्रहगढ़, अतरैला रामबाग बगरिहा, कोनी से गड़ेहरा, दुआरी पहुंच मार्ग, बदरांव से महु, कुसड़ी पहुंच मार्ग , रामनई भुलआ मार्ग ,पटपरा से टीकर मार्ग, पन्नी से पतवा मार्ग, दुआरी से लंगा टोला, सूजी से अर्जन कछुआ , रायपुर से टाउन तक, पनगढ़ी पहुंच मार्ग , बेलवा से मझबोंगा मार्ग, नाद पहुंच मार्ग, पडऱा से गढ़वा मार्ग, सपहा पहुंच मार्ग, राजगढ़ से कोलहा, पडऱी पश्चिम टोला, चचाई से पुरवा, अटरिया से बड़ागांव, बीरखाम नंदनीपुर, एवं अन्य सड़कें शामिल हैं।
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