एमपी में नहीं मिला शव वाहन तो नवजात की बॉडी थैले में रखकर ले गए परिजन

MP News: मध्यप्रदेश में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने का मामला प्रकाश में आया है। अस्पताल में नवजात की मौत के बाद उन्हें शव वाहन नहीं मिला। ऐसे में परिजन मजबूरी में उसके मृत शरीर को थैले में रखकर घर ले गए।

Update: 2023-06-16 08:27 GMT

मध्यप्रदेश में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने का मामला प्रकाश में आया है। अस्पताल में नवजात की मौत के बाद उन्हें शव वाहन नहीं मिला। ऐसे में परिजन मजबूरी में उसके मृत शरीर को थैले में रखकर घर ले गए। गनीमत की बात यह रही कि जिस बस में उन्होंने सफर किया किसी को भनक नहीं लगी अन्यथा उन्हें बस से भी उतारा जा सकता था। सफर के दौरान उनका दिल रोता रहा किंतु वह अपने दिल पर पत्थर रखकर बैठे रहे।

डिंडौरी से जबलपुर किया था रेफर

एमपी के डिंडौरी से नवजात को इलाज के लिए जबलपुर रेफर किया गया था। डिंडौरी के सहजपुरी निवासी सुनील धुर्वे के मुताबिक उनकी पत्नी जमनी बाई ने 13 जून को जिला अस्पताल में नवजात को जन्म दिया था। नवजात के शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण 14 जून को चिकित्सकों ने उसे जबलपुर मेडिकल अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जबलपुर में इलाज के दौरान 15 जून को नवजात की मौत हो गई। अब नवजात के शव को वापस डिंडौरी लाना था। जिस पर परिजनों ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से शव वाहन की मांग की। परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन देने से इंकार कर दिया जिससे उन्हें मजबूरी में शव को थैले में रखकर ले जाना पड़ा।

झोले में शव रखकर बस में किया सफर

डिंडौरी सहजपुरी निवासी सुनील धुर्वे का कहना है कि उसकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। अस्पताल प्रबंधन ने जब शव वाहन देने से इंकार कर दिया तो नवजात के शव को थैले में रखकर बस में सफर किया। क्योंकि प्राइवेट वाहन करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। जबलपुर से डिंडौरी जाने वाली बस में वह सवार हो गए। सफर के दौरान उनका दिल रोता रहा। किंतु उनकी आंख में आंसू इसलिए नहीं आए कि यदि बस में सवार लोगों को इसकी जानकारी हो गई उन्हें बस से नीचे भी उतारा जा सकता है। ऐसे में मन मारकर उन्होंने सफर को पूरा किया।

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