एमपी: प्रदेश में इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों की स्थिति दयनीय, आधे पद खाली, अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहा काम
मध्य प्रदेश के सरकारी इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
मध्य प्रदेश के सरकारी इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। कॉलेजों में पर्याप्त फेकल्टी न होने के कारण पूरा सिस्टम ही अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। किसी भी सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में नियमित प्राचार्य नहीं है। सीनियर प्रोफेसर को प्रभारी प्राचार्य बना कर काम चलाया जा रहा है। टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट परमानेंट फेकल्टी को रखने के संबंध में कोई प्रक्रिया भी नहीं अपना रहा है। प्रदेश के उज्जैन, जबलपुर, सागर, रीवा और नौगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित है। लंबे समय ये नियुक्तियां न होने के कारण ऐसे हालात बने हैं। गौरतलब है कि 2016 में नियुक्तियां हुई थी। लेकिन उस पर भी विवाद की स्थिति बनी थी। जिनका सिलेक्शन हुआ उन्हें भी रेगुलर नहीं किया गया।
एचओडी के 297 में से 247 पद खाली
बताया गया है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों की ही तरह पॉलीटेक्निक कॉलेजों की स्थिति और भी चिंताजनक है। इनमें विभिन्न विभागों के एचओडी के 297 पद स्वीकृत है। जिनमें से 247 पद खाली है। 84 फीसदी पदों पर प्रभारी से काम चलाया जा रहा है। अतिथि शिक्षक आशीष खरे ने बताया कि परमानेंट भर्ती न होने के लोड अधिक रहता है। कई बार पदों को भरने की मांग की जा चुकी है।
इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेज की स्थिति
प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्राचार्य के स्वीकृत 5 में से सभी पद खाली है। प्राध्यापक के स्वीकृत 63 में से 62 पद खाली है। सह प्राध्यापक के स्वीकृत 138 में से 131 खाली, सहायक प्राध्यापक के स्वीकृत 292 में से 85 खाली है। इसी प्रकार लायब्रेरियन के 8 में से 5 पद रिक्त है। पॉलीटेक्टिनक कॉलेज में प्राचार्य के स्वीकृत 67 में से 54 पद रिक्त है। एचओडी के स्वीकृत 297 में से 247 खाली, व्याख्याता के 1572 में से 774 पद खाली बताए गए हैं। लायब्रेरियन के स्वीकृत 66 में से 57 पद खाली बताए गए हैं।