महाराष्ट्र में क्या चल रहा: अजित पवार अब चाचा शरद से NCP छीनने की कोशिश में!

What's going on in Maharashtra: अजित पावर बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं लेकिन एकनाथ शिंदे की टेंशन बढ़ गई है

Update: 2023-07-03 05:30 GMT

What's going on in Maharashtra: महाराष्ट्र में बीते एक साल से राजनितिक ड्रामा चल रहा है, पहले एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के साथ खेल किया और अब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के साथ गेम कर दिया। दोनों के पाला पलटने से अंत में फायदा बीजेपी को हुआ. अजित पवार ने अपने 8 विधायकों के साथ ना सिर्फ एनसीपी से बगावत की बल्कि वो अब NCP की ही दावेदारी करने लगे हैं. उधर शरद पवार ने अजित समेत 8 बागी विधायकों को डिस्क्वालिफाई करने के लिए विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखा है. 

एनसीपी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखते हुए कहा है कि एनसीपी की कमान शरद पवार के पास है. उन्होंने 1999 में इस पार्टी की स्थापना की थी. अजित पवार की कोई भी दावेदारी की अपील पर कार्रवाई करने से पहले चुनाव आयोग को शरद पवार की सुननी चाहिए। एनसीपी ने अजित पवार के पलटी मारने के बाद जितेंद्र आव्हाड को विधानसभा में विपक्ष का नेता और मुख्य सचेतक (Chief Whip) नियुक्त किया है। 

अजित पवार बोले-मेरे पास 40 विधायक 

महाराष्ट्र के नए और दूसरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दावा किया है कि उनके पास एनसीपी के 53 विधायकों में से 40 का समर्थन है. उन्होंने एनसीपी छोड़ शिवसेना या बीजेपी ज्वाइन नहीं  की है बल्कि एनसीपी के तौर पर ही यह कदम उठाया है. अब अजित पवार वही करने वाले हैं जो एकनाथ शिंदे ने शिवसेना और उद्धव ठाकरे के साथ किया था. 

क्या अजित पवार पर दलबदलू विरोधी कानून लागू होगा 

दलबदलू विरोधी कानून की दो शर्ते होती हैं. पहला ये पहली पार्टी छोड़कर कोई नेता दूसरे दल में शामिल हो जाए और दो तिहाई विधायक उसके साथ हो. अजित पवार दोनों मामलों में मजबूत समझ में आ रहे हैं. उन्होंने अपने साथ 40 NCP विधायकों का होना बताया है. दलबदलू विरोधी कानून से बचने के लिए उनके पास कम से कम 36 विधायक होने चाहिए। 

एकनाथ शिंदे की टेंशन बढ़ गई 

बीजेपी के लिए एकनाथ शिंदे का साथ अब उतना जरूरी नहीं रह गया है. बीजेपी चाहे तो आज के आज शिंदे गुट को अलग करके अपनी सत्ता बना ले. कहने का मतलब ये है कि 288 विधानसभा सीटों में 145 का बहुमत है, शिंदे और फडणवीस सरकार के पास 160 का आंकड़ा है. अगर 40 एनसीपी विधायक अपना समर्थन दे देते हैं तो एकनाथ शिंदे की धमक कम हो जाएगी। उन्हें फिर वही करना पड़ेगा जो बीजेपी कहेगी 


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