स्टूडेंट विदेश के टॉप 500 संस्थानों से कर सकेंगे पीएचडी, कैसे मिलेगा अवसर जान लें
विश्वविद्यालय के शोध छात्रों के लिए अच्छी खबर है। उन्हें एक सेमेस्टर के लिए भारत के बाहर प्रतिष्ठित वैश्विक संस्थानों में रिसर्च करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
विश्वविद्यालय के शोध छात्रों के लिए अच्छी खबर है। उन्हें एक सेमेस्टर के लिए भारत के बाहर प्रतिष्ठित वैश्विक संस्थानों में रिसर्च करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। इसके लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी द्वारा इंटरनेशनल विजिटिंग स्टूडेंट प्रोग्राम लांच किया गया है। जिसके तहत सिलेक्टेड छात्र दुनिया के टॉप 500 संस्थानों में से किसी एक संस्थान में एक सेमेस्टर बिता सकेंगे।
इंटरनेशनल विजिटिंग स्टूडेंट प्रोग्राम क्वालिफिकेशन
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ने इंटरनेशनल विजिटिंग स्टूडेंट प्रोग्राम लांच किया है। जिसमें शोध छात्र 6 माह के लिए फॉरेन में रिसर्च कर सकेंगे। इसके लिए पीएचडी कर रहे छात्र जिन्होंने 8 या अधिक सीजीपीए के साथ अपना कोर्स पूरा कर लिया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के जर्नल में अपने विषय में कम से कम दो पत्र प्रकाशित किए हैं, वह छात्र इसमें शामिल हो सकते हैं। छात्र को अपना रिसर्च जारी रखने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने हेतु संबंधित संस्थान से सहमति लेना अनिवार्य रहेगा।
बीएचयू देगा फेलोशिप
फॉरेन में शोध करने के लिए छात्रों को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी द्वारा फेलोशिप भी प्रदान किया जाएगा। शोधार्थियों को प्रति माह 1 लाख 46 हजार 479 रुपए की फेलोशिप राशि मिलेगी। इसके साथ ही उन्हें इकोनॉमी क्लास रिटर्न हवाई यात्रा, वीजा शुल्क और स्वास्थ्य बीमा भी प्रदान किया जाएगा। संबंधित शोधार्थियों को सम्मेलनों में हिस्सा लेने या रुचि के अन्य संस्थानों में जाने के लिए भी राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि मेजबान देश के अंदर लगभग 49 हजार 539 रुपए यात्रा भत्ता दिया जाएगा। बीएचयू द्वारा इसको प्रारंभ करने का उद्देश्य नेटवर्किंग को बढ़ावा देने के साथ ही सहयोगी अनुसंधान को सुविधाजनक बनाना, संस्थागत संबंधों को मजबूती प्रदान करना, प्रायोगिक, सैद्धांतिक और पेशेवर कौशल को विकसित करना है।
इनका कहना है
इस संबंध में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. सुधीर कुमार जैन के मुताबिक बीएचयू के उत्कृष्ट पीएचडी छात्रों को विदेशों में एक सेमेस्टर बिताने के लिए यह पहल प्रारंभ की गई है। फॉरेन के अग्रणी अनुसंधान विश्वविद्यालयों अथवा प्रयोगशालाओं में वह अपना शोध कर सकेंगे। इसके साथ ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। इस कार्यक्रम की परिकल्पना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार की गई है।