आखिर किस मजबूरी के चलते 'शराबी' फिल्म में अमिताभ अपना एक हाथ जेब में डाल कर रखते थे?
आखिर किस मजबूरी के चलते 'शराबी' फिल्म में अमिताभ अपना एक हाथ जेब में डाल कर रखते थे? सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म 'शराबी'
आखिर किस मजबूरी के चलते 'शराबी' फिल्म में अमिताभ अपना एक हाथ जेब में डाल कर रखते थे?
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म 'शराबी' जो साल 1983 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म को प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया था. उन्हीं दिनों सिनेमाघरों से अमिताभ बच्चन की एक और फिल्म 'मर्द' उतरी थी और 'शराबी' लग गई थी. 'मर्द' को मनमोहन देसाई ने डायरेक्ट किया था. दोनों फिल्मों के डायरेक्टरों में शीत युद्ध चल रहा था, क्योंकि उस जमाने में सिनेमाघरों की भारी कमी हुआ करती थी. मनमोहन देसाई अपनी फिल्म के अलंकार थिएटर से हटाए जाने पर काफी गुस्सा थे और इसी गुस्से में आकर उन्होंने प्रकाश मेहरा की फिल्म के लिए कुछ ऐसा कह दिया कि प्रकाश मेहरा और उनके बीच तनातनी हो गई.
मनमोहन ने कह दिया- ‘एक शराबी, शराबी जैसी फिल्म ही बना सकता है.’ ये सुनकर प्रकाश मेहरा भी कहां चुप रहने वाले थे, उन्होंने भी कह दिया- ‘किसी की इतनी गंदी सोच कुली बनाने वाले इंसान की ही हो सकती है.’ खैर ये सिलसिला तो लंबा चला था, लेकिन हकीकत तो यही है कि मनमोहन देसाई की फिल्म थिएटर से उतरी और प्रकाश मेहरा की लगी, फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आई और हिट साबित हुई. आइए इसी फिल्म से जुड़े कुछ अनसुने किस्से आपको बताते हैं.
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'शराबी' एक सुपरहिट फिल्म रही, लेकिन इस फिल्म के बाद से ही अमिताभ और फिल्म के डायरेक्टर प्रकाश मेहरा के बीच के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे. हालांकि इसके पीछे का कारण आज तक किसी को नही पता और ना ही अमिताभ ने कभी इस बारे में किसी से बात की. वहीं फिल्म के संवाद लेखक कादर खान थे, इस फिल्म के बाद कादर खान के साथ भी अमिताभ के रिश्ते खराब हो गए. दरअसल, कादर खान काफी सीनियर एक्टर थे और उन्हें ये बिल्कुल मंजूर नहीं था कि वो अमिताभ को सर कहकर बुलाए.
आपको बता दें कि अमिताभ बच्चन और जया प्रदा की फिल्म 'शराबी' हॉलीवुड फिल्म 'ऑर्थर' से प्रेरित है. ये फिल्म दर्शकों को इतनी पसंद आई कि रिलीज के अगले साल ही कन्नड़ में इसका रीमेक बना, जिसका नाम था' थंडा कनिके'.
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जब शराबी की शूटिंग चल रही थी उस दौरान फिल्म के डायरेक्टर औऱ अमिताभ के बीच काफी अच्छी बॉन्डिंग हुआ करती थी. प्रकाश भी अमिताभ की अदाकारी से बहुत प्रभावित थे. इतना ही नहीं वो अमिताभ के काम से इतने खुश थे कि उन्होंने अमिताभ को अपनी अगली फिल्म में डायेक्टर बनाने का भी सोच लिया था, जिसका नाम था 'एक गुनाह और सही', लेकिन अमिताभ चाह कर भी इस फिल्म का हिस्सा नहीं बन सके, क्योंकि उसके अगले साल यानि 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद बिग बी अपने दोस्त राजीव गांधी के बुलाने पर राजनीति में चले गए. अमिताभ के जाने के बाद ये फिल्म बनी ही नहीं. प्रकाश मेहरा के प्रोडक्शन में बनने वाली इस फिल्म की कहानी साहित्यकार धर्मवीर भारती के उपन्यास 'गुनाहों का देवता' पर आधारित थी. बाद में ना तो ये फिल्म बनी ना अमिताभ डायेक्टर बन पाए.
फिल्म शराबी' में अमिताभ के डायलॉग दर्शकों को खूब पसंद आए, ये फिल्म पूरी तरह से मनोरंजन से भरपूर रही थी, जिसमें हर चीज़ दर्शकों को पसंद आई. फिल्म की एक्ट्रेस जया प्रदा भी खूबसूरती से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहीं. शराबी के हिट होने के बाद दोनों की जोड़ी 'आज का अर्जुन' और 'इंद्रजीत' जैसी फिल्मों में भी नजर आई. जया प्रदा अपने दौर में बेहतरीन डांसर भी हुआ करती थी, इस बात को ध्यान में रखते हुए डायेक्टर ने फिल्म में 'मुझे नौलखा मंगा दे रे ओ सैंया दीवाने' गाने को फिट किया. लोगों को वो पूरा सीन जिसमें खाली थिएटर में मुंशी जी और फिल्म का हीरो विक्की मल्होत्रा मीना यानि जया का डांस देखत रहे हैं, बहुत पसंद आय़ा. 10 मिनट के इस गाने में जया और अमिताभ की जोड़ी को दर्शकों ने अपने दिल में जगह दे दी थी.
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फिल्म 'शराबी' के लिए साल 1984 के फिल्मफेयर पुरस्कार
फिल्म 'शराबी' के लिए साल 1984 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में बेस्ट प्लेबैक सिंगर के लिए सिंगर किशोर कुमार को जो चार बार नॉमीनेशन मिला. ये पहला और कह सकते हैं कि आखिरी मौका था जब फिल्मफेयर के पुरस्कारों में एक ही कैटेगरी के सारे नॉमीनेशन एक ही सिंगर को मिले थे वो भी एक ही फिल्म के लिए. सिंगर किशोर कुमार को' मंजिलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह' के लिए अवार्ड भी मिला था और बप्पी लाहिड़ी को बेस्ट संगीतकार का अवार्ड मिला. आपको बता दें कि उस साल अमिताभ की इस फिल्म को फिल्मफेयर पुरस्कारों में कुल 9 नॉमीनेशन मिले थे. हालांकि बेस्ट एक्टर का अवार्ड अनुपम खेर को फिल्म 'सारांश' के लिए मिला था.
हाल ही में इस फिल्म को याद करते हुए अमिताभ ने लिखा-'मानो कल की ही बात लगती है, साल 1983 में मैं वर्ल्ड टूर पर था. इंडस्ट्री के हम सभी कलाकार अमेरिका और लंदन शो करके न्यूयॉर्क से ट्रिनिडाड और टोबैगो के लिए उड़े थे, उस वक्त वहां मेरे साथ प्रकाश मेहरा भी थे. वहां उन्होंने मुझे बाप और बेटे के रिश्तों पर फिल्म करने को लेकर बात की. उस वक्त हम अटलांटिक महासागर के ऊपर करीब 35 हजार फिट की ऊंचाई पर उड़ रहे थे जब मैंने इस फिल्म की कहानी सुनी थी. फिल्म “शराबी की शूटिंग के दौरान दीवाली के एक पटाखे की वजह से मेरा हाथ जख्मी हो गया था और तंदूरी चिकन बन गया था, मगर फिर भी मैंने शूटिंग जारी रखी.'
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