जल्द ही विश्व में आ सकती है आर्थिक मंदी, विश्व बैंक की तरफ से दी गई चेतावनी, इन देशों पर होगा सबसे ज्यादा असर
विश्व बैंक ने एक पूर्वानुमान लगाया था जिसके अनुसार यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा आर्थिक उत्पादन में गिरावट रूस और यूक्रेन में देखने को मिलेगी।
Stagflation Risk Rises Amid Sharp Slowdown in Growth: वर्ल्ड बैंक (World Bank) के अनुसार महामारी से अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था उबर नहीं पाई है, वहीं रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था(Global Economy) को और भी ज्यादा नीचे की तरफ धकेल दिया है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि कई देशों में आर्थिक मंदी (Economic Recession) आ सकती है। विश्व बैंक की तरफ से चेतावनी जारी की गई है, जिसके अनुसार यूरोप और पूर्वी एशियाई के बहुत से ऐसे देश जो कम विकसित है, उनको गंभीर आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं महंगाई भी बढ़ सकती है और स्टैगफ्लेशन (Stagflation) की आशंका भी बढ़ सकती है, एक ऐसी स्थिति जिससे निपटना किसी भी देश के लिए बेहद चुनौती भरा हो सकता है।
क्या है स्टैगफ्लैशन?
डेविस मैल्पस, जो वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष हैं उनके अनुसार स्टैगफ्लेशन की संभावना और भी अधिक बढ़ चुकी है। स्टैगफ्लेशन वो आर्थिक स्थिति है जब आर्थिक विकास की दर स्थिर हो जाती है और महंगाई की दर और बेरोजगारी की दर में बढ़ोत्तरी जारी रहती है।
बहुत से देश सामना कर रहे हैं स्टैगफ्लेशन का
इस समय पूरी दुनिया में बहुत से ऐसे देश है जो इस स्थिति से गुजर रहे हैं और इस स्थिति का सामना करना उन देशों के लिए बहुत ज्यादा चुनौती भरा हो सकता है। महंगाई की दर पर कंट्रोल करने के लिए केंद्रीय बैंक की तरफ से प्रमुख नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की जाती है, लेकिन इससे बेरोजगारी की दर और ज्यादा बढ़ जाती है और इसका नकारात्मक प्रभाव आर्थिक विकास की दर पर भी देखने को मिलता है।
विश्व बैंक ने लगाया था पूर्वानुमान
विश्व बैंक ने एक पूर्वानुमान लगाया था जिसके अनुसार यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा आर्थिक उत्पादन में गिरावट रूस और यूक्रेन में देखने को मिलेगी। बैंक की तरफ से जारी की गई चेतावनी के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध का और कोरोना का असर पूरी दुनिया में व्यापक रूप से देखने को मिल सकता है। अगर वैश्विक आर्थिक मंदी से किसी तरह से बचा भी गया तो स्टैगफ्लेशन बहुत सालों तक देशों को प्रभावित कर सकता है और यह स्थिति तब तक रहे रहेगी जब तक आपूर्ति बाधाओं को हटा नहीं लिया जाता।
विश्व बैंक के अनुसार 2021 से 2024 के बीच वैश्विक आर्थिक विकास की दर 2.7 फ़ीसदी रह सकती है जो कि 1976 से 1989 के बीच आने वाले स्टैगफ्लेशन की स्थिति से और भी ज्यादा खराब है। बैंक की तरफ से दी जाने वाली जानकारी के अनुसार महंगाई पर काबू पाने के लिए 1970 में ब्याज की दरों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी कर दी गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप 1982 में वैश्विक आर्थिक मंदी की स्थिति पैदा हो चुकी थी। इस समय भारत में भी महंगाई काफी ज्यादा है और इस पर काबू पाने के लिए आरबीआई की तरफ से 1 महीने में दूसरी बार रेपो रेट बढ़ाई गई है।