बंपर उत्पादन देने वाली तिल की एक खास किस्म, 70 से 80 दिन में पक कर हो जाती है तैयार
kaanke saphed til: जुलाई का आधा महीना बीत चुका है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश हो रही है तो वहीं आज भी कई जिले सूखे की चपेट में है।
kaanke saphed til: जुलाई का आधा महीना बीत चुका है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश हो रही है तो वहीं आज भी कई जिले सूखे की चपेट में है। किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। पर किसानों परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर किसान एक खास किस्म के तिल की खेती करें तो बंपर उत्पादन होगा। 70 से 80 दिन में पक कर तैयार हो जाने वाली तिल के इस खास किस्म का नाम कांके सफेद तिल (kaanke saphed til) है।
कृषि विश्वविद्यालय ने की खोज
झाड़खंड बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कांके सफेद (kaanke saphed til) नाम का तिल विकसित किया गया है। इस तिल में अन्य तिल की अपेक्षा ज्यादा पैदावार की क्षमता होती है। वही यह फसल मात्र 70 से 80 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। ऐसे में रबी फसलों की बोनी के लिए खेत खाली हो जाते हैं। जिससे किसान को दोनों रवि की फसलों का पर्याप्त उत्पादन प्राप्त होता है।
ऐसे करें बोनी
तिल की बोनी के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह जोतकर तैयार कर लें। जून के मध्य महीने से लेकर जुलाई महीने के अंत तक इसकी बोने की जा सकती है।
तिल की बोनी के लिए एक हेक्टेयर में 5 से 6 किलोग्राम बीज का उपयोग करें। साथ में बोनी के समय प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम यूरिया, 88 किलोग्राम डीएपी और 35 किलो पोटाश का उपयोग करना चाहिए।
कितना होता है उत्पादन
बताया गया है कि कांके सफेद तिल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 7 क्विंटल तक है। इस तिल मैं तेल की मात्रा 42 से 45 प्रतिशत तक होती है। वही इस पौधे की एक खासियत यह भी है कि यह कम पानी में भी आसानी से जीवित रहता है। और बारिश ज्यादा होने पर भी फसल खराब नहीं होती।