जंग के बीच भारत आए रूसी विदेश मंत्री, पीएम मोदी और जयशंकर से होगी मीटिंग, पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर
Russian Foreign Minister came to India: रूस और यूक्रेन की जंग को एक महीने से ज़्यादा वक़्त हो गया है. पश्चिमी देशों ने रूस से नाता तोडा तो भारत ने आगे हाथ बढ़ाया है
Russian Foreign Minister came to India: यूक्रेन और रूस के बीच बीते 36 दिन से जंग जारी है. ऐसे में पश्चिमी देश और उनके आदेश का पालन करने वाले अन्य देशों ने रूस से व्यापारिक रिश्ते ख़त्म कर दिए हैं. लेकिन भारत अपनी दोस्ती में कायम रहा है। गुरुवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (sergey lavrov) दो दिन के लिए भारत दौरे पर आए हैं. जहां वो प्रधान मंत्री मोदी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मीटिंग करेंगे
पूरी दुनिया की नज़र भारत में टिकी हुई हैं. पूरी दुनिया हैरान है कि आखिर भारत अमेरिका और ब्रिटैन जैसे देशों के साथ न होकर जंग के हालातों के बीच रूस से व्यापारिक रिश्ते कैसे बढ़ा सकता है। अमेरिका सहित कई देशों ने रूस से गैस और कच्चे तेल की खरीदी बंद कर दी है. ऐसे में रूस भी बड़ा नुकसान झेल रहा है. लेकिन भारत दो देशों के बीच उत्पन्न हुई आपदा को अवसर में बदलने की कोशिश कर रहा है।
रूसी विदेश मंत्री भारत क्यों आए हैं
शुक्रवार को सर्गेई लावरोव प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मीटिंग करेंगे जहां विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस मीटिंग का हिस्सा होंगे। यह मीटिंग दोनों देशों के लिए बहुत अहम मानी जा रही है। इस बैठक में मुख्य रूप से 2 मुद्दों में चर्चा होनी है। पहली बार भारत आए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रूस से किफायती रेट में क्रूड ऑयल की खरीदी और बाइलेटरल ट्रेड के लिए रुपया-रूबल पेमेंट सिस्टम पर सहमति बनाने के लिए पहुंचे हैं.
अमरीका के डिप्टी NSA और ब्रिटेन के विदेश सचिव भी भारत दौरे पर
रूस के विदेश मंत्री उस वक़्त भारत से डील करने के लिए आए हैं जिस वक़्त अमेरिका के उप NSA दिलीप सिंह और बब्रिटेन की विदेश सचिव एलिजाबेथ ट्रस भारत दौरे पर आई हुई हैं. गुरुवार को अमेरिका के डिप्टी NSA दिलीप सिंह ने कहा है कि अगर चीन भारत में कभी हमला करने या जमीन हथियाने की कोशिश करता हस तो रूस कभी भारत का साथ नहीं देगा और ना चीन के खिलाफ कुछ करेगा। ऐसे में भारत को रूस का साथ नहीं देना चाहिए।
रूस और भारत के बीच क्या डील होने वाली है
पश्चिमी देशों के प्रतिबधों के बाद रूस भारत को सस्ते दाम में क्रूड आयल बेचना चाहता है। रूस इंटरनेशनल मार्केट से 35 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट से भारत से यह डील करना चाहता है। जबकी यूक्रेन और रूस जंग के बाद अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड की कीमत 10% तक बढ़ गई है। जहां युद्ध के पहले क्रूड की कीमत 96.84 डॉलर प्रति बैरल थी वह अभी 106.85 डॉलर प्रति बैरल है. और रूस भारत को 35 डॉलर प्रति बैरल का डिस्काउंट ऑफर कर रहा है.
तेल की खपत के मामले में अमरीका चीन के बाद भारत दुनिया में तीसरे नंबर का देश है. ऐसे में सस्ता क्रूड मिलने से पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम हो सकते हैं. भारत अपनी जरूरत का 80% क्रूड विदेशों से इम्पोर्ट करता है. लेकिन रूस से सिर्फ जरूरत का 2% क्रूड खरीदता है।
रूस चाहता है कि भारत उससे 1.5 करोड़ बैरल तेल की खरीदी करे, जबकि पिछले साल भारत ने रूस से 1.2 करोड़ बैरल तेल खरीदा था.
रुपए और रूबल में ट्रेड होगा
अंतराष्ट्रीय मार्केट में डॉलर की मोनोपोली है, ऐसे में जब रूस से भारत रुपए और रूबल में सौदा करेगा तो इससे रुपए की वेल्यू बढ़ जाएगी और डॉलर का क्रूड मार्केट एकाधिकार कम हो जाएगा। इसी लिए अमरीका इस डील से परेशान है।