Home Loan Prepayment: जाने होम लोन के प्रीपेमेंट को कैसे करें मैनेज

Home Loan Preopayment: हम सभी कर्ज, और भुगतान के साथ-साथ लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल कमिटमेंट (long term financial commitment) से जल्दी छुटकारा पाना चाहते हैं।;

Update: 2022-05-24 07:23 GMT

Home Loan Prepayment: लोन और उसके ब्याज से छुटकारा पाने के लिए प्री-पेमेंट (Pre-Payment) एक बेहतरीन साधन है। हम सभी कर्ज, और भुगतान के साथ-साथ लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल कमिटमेंट (long term financial commitment) से जल्दी छुटकारा पाना चाहते हैं। तो अगर आपको किसी भी स्त्रोत से मोटी रकम मिलती है, तो प्री-पेमेंट (Pre-Payment) करके ईएमआई को कम किया जा सकता है। प्रीपेमेंट की गई राशि कर्ज में ली गई है, तो उसे प्रीपेमेंट द्वारा एडजस्ट किया जाता है। और अगर यह राशि कम हुई तो इसका असर इएमआई पर पड़ता है।

कुछ दिनों पहले ही आरबीआई ने रेपो रेट में 40 प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की थी। जिसके बाद कई बैंकों ने लेंडिंग रेट में बढ़ोतरी की। जिसके चलते लोन लेना बहुत महंगा हो गया है।अधिकतर फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लोन रेपो रेट से लिंक्ड होते हैं। इनके चलते बॉरोअर्स की ईएमआई बढ़ रही है हम इस आर्टिकल में होम लोन के प्री-पेमेंट को कैसे मैनेज किया जाना चाहिए। और लॉन्ग टर्म में इसका क्या फायदा है के बारे में जानेंगे।

लोन प्री-पेमेंट कैसे करें 

जब इंटरेस्ट रेट बढ़ता है और लोन टर्म के दौरान अतिरिक्त ब्याज से बचने के लिए प्रीपेमेंट होते है। तो बैंक आपको अपने लोन लायबिलिटी को फिर से एडजस्ट करने के लिए अलग -अलग बेहतरीन विकल्प देता है। ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा। वही प्री-पेमेंट टेन्योर बदल जाता है। यानी ईएमआई की संख्या में कमी आती है। दूसरा विकल्प यह होता है कि ईएमआई का आकार बदल जाता है। जबकि टेन्योर वही रहता है। लेकिन इसके लिए बड़े प्री-पेमेंट की आवश्यकता होती है। और इसमें आपको ईएमआई आकार की कमी का फायदा मिलता है।

प्री-पेमेंट करने के लिए आपको सही रणनीति के साथ तैयार रहना चाहिए। आपके लेंडर के पास प्री-पेमेंट विकल्प होने चाहिए। जो आपको ब्याज से बचाने और किसी तरह के तनाव से बचने में सहायता करते हैं।

ब्याज में बढ़ोतरी होने पर लोन प्री-पेमेंट कैसे प्रभावित करती है जानें 

जब आपके उपस्थित लोन पर इंटरेस्ट रेट (Interest Rate) बढ़ता है,तो लेंडर से दो विकल्प मिलते हैं या तो आपकी ईएमआई बढ़ती है या आपका टेन्योर बढ़ता है। अधिकतर मामलों बोरोअर्स को अधिक ब्याज का भुगतान करना होता है। यदि आप भी ईएमआई में बदलाव नहीं करना चाहते हैं तो टेन्योर बढ़ाते हैं तो अधिक ब्याज देना होता है। लोन पर इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी के कारण को कम करने के लिए लोन प्री-पेमेंट एक शानदार तरीका हो सकता है।

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