Dwarfism in Paddy Crop: किसान हो जाएं सावधान, धान की फसल में लगा बौनेपन का रोग, 50 करोड़ से अधिक की फसल प्रभावित
Dwarfism in Paddy Crop: अनुमान के मुताबिक Paddy Dwarfing से लुधियाना में करीब 50 करोड़ से अधिक का किसानों को नुकसान हो चुका है।
Dwarfism in Paddy Crop: खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान बौनेपन बीमारी (Dwarfism Disease in Paddy) की चपेट में है। यह रोग तेजी से फैलता है और पौधे को अपनी चपेट में ले कर उसके विकास को प्रभावित कर देता है। वर्तमान समय में देश के पंजाब प्रांत के लुधियाना के कई क्षेत्र इस बीमारी की चपेट में है। एक अनुमान के मुताबिक लुधियाना की करीब 50 करोड़ से अधिक का नुकसान किसानों को हो चुका है। 3500 हेक्टेयर से अधिक की फसल खराब हो चुकी है। ऐसे में किसानों को सतर्क करते हुए फसलों की बराबर निगरानी करने के लिए कहा गया है।
क्या है बौनेपन का रोग
What Is Paddy dwarfing: देश के सभी हिस्सों में धान रोपाई का कार्य पूरा हो चुका है। कई जगह धान की फसल अच्छी बताई जा रही है तो वही पंजाब के कई क्षेत्रों में तथा खासकर लुधियाना (Paddy Crop In Ludhiyana) में धान की फसल बौनेपन (Paddy Dwarfing) मारी की चपेट में आ गया है।
इस रोग के संबंध में बीते दिनों पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट किया कि यह रोग साउथ राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वर्फ वायरस (South Rice Black Streaked Dwarf Virus) की वजह से फैल रहा है। इस बीमारी को कई वर्ष पहले पहली बार चीन में देखा गया था। साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि धान के जिन बीजों की बोनी 25 जून से पहले की गई है उन्हींमें इस तरह की शिकायत पाई जा रही है।
लुधियाना में फसल हो रही बर्बाद
Paddy Crop Destroyed by Dwarfing in Ludhiyana: द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया है कि पंजाब में 258600 हेक्टेयर में धान की फसल बोई गई है। जिसमें लगभग 3500 हेक्टेयर की फसल खराब हो चुकी है। यह नुकसानी फसल की उपज पर पड़ा है। पंजाब में प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन वर्ष 2021 22 मई 7192 किलोग्राम दर्ज किया गया था। लेकिन इस बीमारी की वजह से भारी नुकसान हुआ है।
किसान रहें सतर्क
Paddy Dwarfing Se Bachav/ Paddy Dwarfing Prevention: इस बीमारी को देखते हुए किसानों को सतर्क किया गया है। साथ ही बताया गया है कि धान के जिन पौधों में यह बीमारी लग जाती है उन पौधों का विकास प्रभावित होता है। ऐसे में आवश्यक है कि उन पौधों को खेत से निकाल दिया जाए। साथ ही कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर उचित उपचार करें।